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खूंटी जिले में सिर्फ 200 गिद्ध…..ओके

फोटो 3-गिद्धों का अस्तित्व खतरे में खूंटी. पर्यावरण के लिए उपयोगी गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है. खूंटी जिले में महज दो सौ गिद्ध ही बच गये हैं. भारत सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए वर्ष 2009 में कैप्टिव बीडिंग प्रोजेक्ट शुरू किया था. परियोजना के तहत गिद्धों के लिए रेस्टोरेंट (भोजन उपलब्ध कराने […]

फोटो 3-गिद्धों का अस्तित्व खतरे में खूंटी. पर्यावरण के लिए उपयोगी गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है. खूंटी जिले में महज दो सौ गिद्ध ही बच गये हैं. भारत सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए वर्ष 2009 में कैप्टिव बीडिंग प्रोजेक्ट शुरू किया था. परियोजना के तहत गिद्धों के लिए रेस्टोरेंट (भोजन उपलब्ध कराने की जगह) बनाया जाना था, ताकि उन्हें बेहतर भोजन मुहैया कराया जा सके. लेकिन यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गयी है. 99 फीसदी गिरावट : देश भर में गिद्धों की संख्या में 99 फीसदी की गिरावट आयी है. शहरों के विकास, पेड़ों की कटाई व पशुपालन में दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से उक्त स्थिति उत्पन्न हुई है. दर्द निवारक दवाओं का सेवन करनेवाले मवेशियों के मर जाने के पर उन्हें खुले में नीचे फेंक दिया जाता है. उक्त मवेशियों का मांस खाने से गिद्धों की किडनी फेल हो जाती है. इतना ही नहीं गिद्धों के अंडों का सेल भी कमजोर हो जाता है.

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