बाल अधिकार के लिए रांची व खूंटी में लगाये गये शिविर, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने कहा
रांची : नीति आयोग ने देश के जिन 115 पिछड़े जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है, वहीं बाल अधिकारों के हनन या उल्लंघन से संबंधित प्रकरणों के निराकरण के लिए शिविर लगाये जा रहे हैं. तमिलनाडु के रामेश्वरम से 21 जून को शुरू हुआ यह शिविर अब रांची में लगाया गया है.
यह देश का 19वां शिविर है. ये बातें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कही. वह जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) मोरहाबादी के सभागार में शिविर का उद्घाटन कर बोल रहे थे. उन्हाेंने कहा कि रामेश्वरम के पहले शिविर से लेकर 16वें शिविर तक हमें बच्चों से संबंधित चार हजार शिकायतें मिली हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 सालों बाद भी बच्चों को उनका अधिकार नहीं मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
उदघाटन सत्र के बाद श्री कानूनगो ने बच्चों से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई की. इससे पहले एडीएम (नक्सल) राजेश बरवार ने शिविर की पृष्ठभूमि बतायी तथा सबका अौपचारिक स्वागत किया. शिविर में रांची व खूंटी जिला प्रशासन सहित विभिन्न विभागों के जिला पदाधिकारी, भारतीय किसान संघ के संजय मिश्रा, विभिन्न गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि, बच्चे व अभिभावक उपस्थित थे.
तीन सौ निबंधन : कार्यक्रम स्थल पर बच्चों से जुड़ी शिकायत तथा बाल अधिकार मामले का निबंधन हुआ. यह शिविर रांची व खूंटी जिले के लिए था, जिसमें करीब 300 निबंधन हुए. स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चों की शिक्षा, थैलिसिमिया व हृदय रोग से जूझ रहे बच्चों तथा बाल संरक्षण संस्थानों में रह रहे बच्चों को उनके घर पहुंचाने सहित दिव्यांगता प्रमाण पत्र व पेंशन जैसे मामले की सुनवाई शिविर में हुई.