रांची : गुमला जिले में बजरंग बली का जन्मस्थान माने जाने वाले अांजनधाम तक पहुंचने वाली सड़क का निर्माण कार्य तीन साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है. वन एवं पर्यावरण और पथ निर्माण विभाग के बीच हुए विवाद के कारण सड़क निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है.
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तीन साल में नहीं बनी आंजनधाम की सड़क
रांची : गुमला जिले में बजरंग बली का जन्मस्थान माने जाने वाले अांजनधाम तक पहुंचने वाली सड़क का निर्माण कार्य तीन साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है. वन एवं पर्यावरण और पथ निर्माण विभाग के बीच हुए विवाद के कारण सड़क निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है. लगभग दो किमी सड़क का निर्माण […]
लगभग दो किमी सड़क का निर्माण नहीं किया गया है. अर्द्धनिर्मित सड़क का दो किमी का हिस्सा पहाड़ से होकर जाता है. पहाड़ का स्वामित्व वन विभाग के पास है. वर्ष 2016 में ही वन विभाग ने पहाड़ के रास्ते को अपना क्षेत्र बताकर आपत्ति दर्ज करते हुए काम बंद करा दिया. उसके बाद से आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है.
तैयार है पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का डीपीआर : वन विभाग ने प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आंजन धाम के विकास के लिए डीपीआर तैयार कराया है. आंजन धाम को इको टूरिस्ट पैलेस के रूप में विकसित करने के लिए पौने दो करोड़ रुपये का डीपीआर सरकार को भेजा गया है.
वन विभाग ने कहा है कि पर्यटन विभाग के अलावा भी उक्त स्थल के विकास के लिए अलग से काम किया जायेगा. ज्ञात हो कि आंजन धाम के आसपास वनभूमि होने के कारण उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए वन विभाग ने डीपीआर तैयार किया है. पूर्व में भी आंजन धाम के विकास के लिए भारत सरकार ने वन विभाग के प्रस्ताव पर स्टेज वन की स्वीकृति प्रदान की है.
गुमला से 18 किमी दूर है आंजनधाम
आंजनधाम गुमला जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी और गुमला-लोहरदगा मुख्य मार्ग के टोटो से लगभग नौ किलोमीटर दूर है. यहां माता अंजनी की गुफा है. मान्यता है कि यही गुफा हनुमान की जन्म स्थली है. क्षेत्र में प्राचीन मंदिर होने से राज्य सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है.
2017 में ही पूरा होना था काम
आंजनधाम की गुफा तक 9.35 किमी सड़क के निर्माण के लिए 19.44 करोड़ रुपये आवंटित हैं. 2016 में अल्टीमा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा लि नामक कंपनी को निर्माण का कार्य मिला था. यह सड़क मार्च 2017 तक तैयार हो जानी थी.
श्रद्धालुओं को हो रही है परेशानी
पहाड़ पर सड़क नहीं होने से आंजन धाम आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को पहाड़ के नीचे ही वाहन छोड़ना पड़ता है. गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पत्थर के नुकीले रास्तों पर चलकर पहाड़ चढ़ना पड़ता है. सड़क निर्माण शुरू होने के पूर्व नुकीले पत्थर वहां नहीं थे. पत्थरों को सड़क बनाने के लिए संवेदक ने बिछवाया था. अब श्रद्धालु निर्माण शुरू होने का खामियाजा भुगत रहे हैं.
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