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ट्रॉमा सेंटर में बिना सूचना के छुट्टी पर गयी नर्स, कटा सात दिन का वेतन, होली से पहले ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट हो जायेगा सेंट्रल इमरजेंसी

मरीजों को होगी सहूलियत. सात दिन में बदल जायेगी सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का सेंट्रल इमरजेंसी सात दिन बाद (होली से पहले) ट्रॉमा सेंटर के नये भवन में शिफ्ट हो जायेगा. रिम्स प्रबंधन इसका खाका तैयार कर रहा है. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह और अधीक्षक डाॅ […]

मरीजों को होगी सहूलियत. सात दिन में बदल जायेगी सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का सेंट्रल इमरजेंसी सात दिन बाद (होली से पहले) ट्रॉमा सेंटर के नये भवन में शिफ्ट हो जायेगा. रिम्स प्रबंधन इसका खाका तैयार कर रहा है. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह और अधीक्षक डाॅ विवेक कश्यप ने मंगलवार को ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया. निरीक्षण में यह पाया गया कि नये ट्रॉमा सेंटर के ग्राउंड फ्लोर में करीब 34 बेड लगे हैं, जो वर्तमान इमरजेंसी की क्षमता से ज्यादा है. इसके अलावा प्रथम तल में भी बेड लगे हुआ है, जिसका उपयोग किया जा सकता है.
निरीक्षण के बाद डेंटल कॉलेज से ऑपरेशन थिएटर के लिए मंगाये गये ओटी टेबल व लाइट को नये ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया. निदेशक ने कहा कि वर्तमान में डेंटल कॉलेज के लिए अोटी का सामान पड़ा हुआ है, जिसका उपयोग किया जा सकता है. निदेशक व अधीक्षक ने यह निर्णय लिया कि लिक्विड ऑक्सीजन की उपलब्धता तक सिलिंडर वाले ऑक्सीजन का उपयोग किया जायेगा. शीघ्र लिक्विड ऑक्सीजन की व्यवस्था भी कर ली जायेगी.
वर्तमान इमरजेंसी में शिफ्ट होगा हड्डी विभाग
वर्तमान इमरजेंसी जिसे ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट किया जायेगा, वहां हड्डी विभाग का ओपीडी को संचालित किया जा सकता है. निदेशक पहले से ही हड्डी विभाग के अोपीडी को प्रथम तल से हटाकर ग्राउंड फ्लोर में लाने की बात कह चुके हैं. क्योंकि हड्डी के मरीजों को सीढ़ी चढ़ कर परामर्श लेने जाना पड़ता था. इसके अलावा स्त्री विभाग के ओपीडी को भी ग्राउंड फ्लोर पर लाने की योजना है.
आेपीडी व इमरजेंसी की भीड़भाड़ होगी कम
वर्तमान समय में इमरजेंसी होकर ही ओपीडी में मरीजों को परामर्श के लिए जाना पड़ता है. ऐसे में वहां हमेशा भीड़ की स्थिति बनी रहती है. गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में लाने में परेशानी होती है. अब इमरजेंसी मरीज व ओपीडी दोनों मरीजों को सहूलियत होगी.
ट्राॅमा सेंटर के नये भवन में वर्तमान इमरजेंसी को होली से पहले शिफ्ट किया जायेगा. ओटी टेबल व लाइट जो डेंटल के लिए मंगाया गया था, उसे ट्राॅमा में शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है. लिक्विड ऑक्सीज की व्यवस्था होने तक ऑक्सीजन सिलिंडर से काम चलाया जायेगा.
डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स
ट्रॉमा सेंटर में बिना सूचना के छुट्टी पर गयी नर्स का सात दिन का वेतन कटा
रांची : ट्रॉमा सेंटर में बिना सूचना के छुट्टी पर चली गयी नर्स का सात दिन का वेतन काटने का निर्देश रिम्स प्रबंधन ने जारी किया गया है. इससे पूर्व मेट्रॉन ऑफिस से नर्स को शो-कॉज जारी किया था. नर्स ने शो-कॉज का जवाब दिया, लेकिन प्रबंधन इससे संतुष्ट नहीं हुआ.
इसे घोर अनुशासनात्मक लापरवाही माना गया, क्योंकि वार्ड में मरीज भर्ती थे और छुट्टी पर जाने की सूचना मेट्रॉन ऑफिस को नहीं थी. गौरतलब है कि रिम्स निदेशक करीब एक माह पहले ट्रॉमा सेंटर का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे, लेकिन वहां सिस्टर इंचार्ज नहीं थी. कार्यरत नर्स से जब निदेशक ने जानकारी मांगी थी तो पता चला कि नर्स बिना सूचना के वह छुट्टी पर है.
कॉर्डियोलॉजी विंग में अनुपस्थित मिले डॉक्टर
और कर्मी को निदेशक ने जारी किया शो-कॉज
रिम्स के सुपरस्पेशियलिटी विंग में निरीक्षण के बाद अनुपस्थति मिले डॉक्टर व कर्मियाें को शो-कॉजी जारी कर दिया गया है. निदेशक ने कहा है कि समय पर ड्यूटी पर आने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अभी भी कई जगह सुधार नहीं हो रहा है. कार्डियोलॉजी विंग में कुछ डॉक्टर व कर्मी को शो-कॉज जारी किया गया है.
रांची : रिम्स के पेइंग वार्ड सहित सभी महत्वपूर्ण वार्डों में काफी दिनों से जमी सिस्टर इंचार्ज को रोटेशन पर बदला जायेगा. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने कहा है कि एक जगह ज्यादा दिन तक काम करने से सेवा की गुणवत्ता में कमी आ जाती है. वहीं, नर्स को हर विभाग और सभी प्रकार के मरीजों की देखभाल का अनुभव होना चाहिए. ऐसे में शीघ्र ही मेट्रॉन को सिस्टर इंचार्ज को रोटेशन पर बदलाव करने का निर्देश जारी किया जायेगा.
रांची : रात में भगवान भरोसे हो जाता है रिम्स का इमरजेंसी
रांची : रिम्स के सबसे बड़े अस्पताल का इमरजेंसी रात में भगवान भरोसे हो जाता है. इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का तांता लगा रहता है, लेकिन इलाज के लिए इंटर्न व जूनियर पीजी छात्र ही रहते हैं.
इमरजेंसी में सीएमओ की ड्यूटी लगती है, लेकिन वह मौजूद नहीं रहते हैं. सोमवार रात में एक एेसा ही मामला देखने को मिला. कई मरीज रिम्स इमरजेंसी में तड़प रहे थे, लेकिन खोजने से कोई सीनियर डॉक्टर वहां नहीं मिला. इमरजेंसी में दो नर्स रहती हैं, लेकिन वे भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति में लगी रहती हैं.
रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह खुद रात में इमरजेंसी का जायजा लेने विगत कुछ दिन पहले गये थे, जिसमें उनको खामियां मिली थीं. परिजनों को परेशान होते हुए उन्होंने खुद देखा था और माना था कि इमरजेंसी की सेवाएं दयनीय हैं. ऐसे में निदेशक को इमरजेंसी की व्यवस्था को सुधारने की पहल शीघ्र करनी चाहिए.

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