न्यायालय ने पकड़ी पुलिस की गड़बडी, तब
अमन तिवारी, रांची
टाटीसिलवे थाना क्षेत्र में गत छह फरवरी को हुई गोपी उरांव की हत्या के मामले में न्यायालय ने जब पुलिस के अनुसंधान में गड़बड़ी पकड़ी, तब पुलिस ने सूरज जायसवाल और अशोक जायसवाल को हत्या में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया. इससे पूर्व पुलिस ने दोनों को हत्या में शामिल होने के मामले में क्लीन चीट दे दी थी. पूर्व में अनुसंधान के क्रम में पुलिस को पता चला कि छह फरवरी-14 की रात मृतक गोपी उरांव अपने साथी रवि मुंडा और सुरेश कच्छप के साथ शौच के लिए सड़क पार कर रहा था. इसी क्रम में रिंग रोड निर्माण कार्य में लगे डंपर ने युवकों को कुचलने का प्रयास किया. इसी बात को लेकर युवकों का विवाद डंपर चालक से हुआ.
डंपर चालक से सूचना मिलते ही ठेकेदार शांतनु जायसवाल अपने एक दो साथियों के साथ वहां पहुंचे. इसके बाद ठेकेदार कैंप चले गये. कुछ देर बाद गोपी उरांव, रवि मुंडा और सुरेश कच्छप अन्य ग्रामीणों के साथ ठेकेदार के पास पहुंचा और उनके साथ मारपीट करने लगे.
इसके बाद शांतनु जायसवाल ने अपने राइफल से फायरिंग की. इससे एक गोली गोपी उरांव को लगी. फायरिंग के बाद अन्य ग्रामीण भाग गये. इसके बाद शांतनु जायसवाल ने अपने बोलेरो में गोपी के शव को लादा और चालक अनिल कुमार के साथ मिल कर शव को लेकर कोलेबिरा के जामटोली स्थित सड़क के किनारे छिपा दिया. इस घटना के बाद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. केस के अनुसंधान दारोगा बीएन सिंह ने 10 फरवरी को शांतनु और सूरज गिरफ्तार किया था और जेल भेजा था.