संजय
रांची : झारखंड-वनांचल आंदोलन से जुड़े वैसे लोगों को कम से कम एक प्रमाण पत्र जरूर मिलेगा, जिन्होंने अांदोलन में हिस्सा तो लिया, पर जेल नहीं गये अौर न ही किसी सरकारी रिकॉर्ड में उनका नाम है.
ऐसे लोगों को अखबार में छपी खबर के आधार पर सम्मान दिया जायेगा. वहीं, उन लोगों को भी जिन्होंने उक्त आंदोलन में भाग तो लिया, पर न ही जेल गये अौर न ही किसी अखबार में उनका नाम है, ऐसे लोगों को आंदोलन में शामिल रहे लोगों द्वारा चिह्नित करने पर या ग्रामसभा से कोरम पूरा कर उनके नाम की अनुशंसा सम्मान के लिये की जायेगी. यह प्रावधान झारखंड-वनांचल अांदोलनकारी चिह्नितिकरण आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने किया है.
सरकार ने घोषणा की थी कि वह अांदोलनकारियों को सम्मान व पेंशन देगी. इसके लिए तीन केटेगरी तय किये गये थे. पहला- आंदोलन के दौरान मर चुके आंदोलनकारी. दूसरा- जो आंदोलन के दौरान छह माह से अधिक समय तक जेल में रहे तथा तीसरा- जो छह माह से कम जेल में रहे. इन तीनों केटेगरी के लोगों के लिए सरकार ने पेंशन व प्रमाण पत्र देने की घोषणाकी है. वहीं, चौथी केटेगरी वाले गुमनाम लोगों को सिर्फ प्रमाण पत्र देने का निर्णय अायोग की अोर से लिया गया है.
नये नाम को किया अमान्य : आयोग ने वैसे लोगों को भी सम्मान के योग्य माना है, जिनके नाम झारखंड आंदोलन से जुड़ी प्रमाणिक पुस्तकों में शामिल है. झारखंड के कई लेखकों की आंदोलन से जुड़ी किताबों को संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल किया गया है. एक ऐसे ही लेखक की किताब से भी कुछ नाम लिये गये थे. बाद में इसके नये संस्करण में कुछ अौर आंदोलनकारियों के नाम जोड़ दिये गये हैं. पर आयोग ने इन्हें अमान्य कर दिया है.
अखबार की अोरिजिनल प्रति से होगा मिलान : अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर जिन लोगों को सम्मान मिलना है, उनमें से कुछ नाम की सत्यता पर संदेह है. दरअसल आंदोलन से संबंधित खबर की कटिंग की छायाप्रति में कुछ नाम टाइप करके अलग से जोड़े गये लगते हैं. इसलिए आयोग ने तय किया है कि अखबारों की कटिंग की छाया प्रति का मिलान अोरिजिनल अखबार से किया जायेगा. इसके लिए संबंधित अखबारों के कार्यालयों से संपर्क किया जायेगा.
अाठ अगस्त तक बढ़ा आयोग का कार्यकाल : सरकार ने झारखंड-वनांचल आंदोलनकारी चिह्नितिकरण आयोग का कार्यकाल अाठ अगस्त-2019 तक के लिए बढ़ा दिया है.
अभी 30 दिसंबर को इसकी अधिसूचना जारी हुई है. अवधि विस्तार आठ अगस्त-2018 से अगले एक साल के लिए मिला है, पर पांच माह तो ऐसे ही निकल गये. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान आयोग कर्मियों को यदि चुनाव कार्यों में लगाया गया, तो कार्य प्रभावित होगा.
जेपी आंदोलनकारियों के संबंध में जवाब नहीं : जयप्रकाश (जेपी) अांदोलन से जुड़े अांदोलनकारियों की पहचान का काम भी रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में हो रहा है.
सरकार ने तय किया है कि जिन लोगों के नाम मेंटेनेंस अॉफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट ( मीसा) तथा डिफेंस अॉफ इंडिया रूल (डीआइआर) के तहत दर्ज हैं, उन्हें ही मान्यता दी जायेगी. इधर आयोग को विभिन्न थानों में दर्ज जेपी आंदोलनकारियों के ऐसे कई नाम भी मिले हैं, जिन पर डीआइअार या मीसा के बजाय दूसरी धाराएं लगायी गयी हैं. अायोग ने सरकार से पूछा है कि इनका क्या किया जाये. सरकार ने अभी जवाब नहीं दिया है.