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जमशेदपुर : माड़ोम के लिए श्याम बेसरा साहित्य अकादमी से सम्मानित

जमशेदपुर/रांची : साहित्य अकादमी नयी दिल्ली की ओर से साहित्य पुरस्कार-2018 के विजेताओं की सूची जारी दी गयी है. जामताड़ा जिले के मिहिजाम निवासी 58 वर्षीय साहित्यकार श्याम बेसरा (जीवी राड़ेज) को यह पुरस्कार मिला है. उन्हें उनके संताली उपन्यास माड़ोम (मचान अर्थात वाच टावर) के लिए यह पुरस्कार मिला है. श्याम बेसरा रेलवे कर्मचारी […]

जमशेदपुर/रांची : साहित्य अकादमी नयी दिल्ली की ओर से साहित्य पुरस्कार-2018 के विजेताओं की सूची जारी दी गयी है. जामताड़ा जिले के मिहिजाम निवासी 58 वर्षीय साहित्यकार श्याम बेसरा (जीवी राड़ेज) को यह पुरस्कार मिला है.
उन्हें उनके संताली उपन्यास माड़ोम (मचान अर्थात वाच टावर) के लिए यह पुरस्कार मिला है. श्याम बेसरा रेलवे कर्मचारी हैं और आसनसोल डिवीजन में चीफ टिकट इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में वे सामाजिक व साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं.
वे ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. साहित्य अकादमी नयी दिल्ली के संताली एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य के रूप में 5 सालों तक योगदान दिया है. श्याम बेसरा वर्ष 1992 में डॉ अांबेडकर फेलोशिप से सम्मानित हो चुके हैं. वे ऑल इंडिया रेडियाे कोलकाता, रांची एवं भागलपुर से भी लंबे समय तक जुड़े रहे. इसके अलावा वर्ष 2014 में देवघर में हिंदी व संताली साहित्य में योगदान के लिए राष्ट्रीय शिखर सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं.
श्याम बेसरा का जन्म 12 फरवरी 1961 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के गांव रामकनाली में हुआ था. उनके माता-पिता का नाम मुसर बेसरा व यशोदा बेसरा है. उनका पैतृक गांव तांबाजोर है, जो गोड्डा जिले के पोडैयाहाट प्रखंड में अवस्थित है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा बंगाली प्राइमरी स्कूल रामकनाली में हुई. उन्होंने रेलवे में सर्विस करते हुए वर्ष 1998 में वर्धमान यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में एमए किया है.
होड़ संवाद से मिली प्रेरणा : 1970 के दशक में होड़ संवाद नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन होता था. उन्होंने होड़ संवाद के हर अंक को पढ़ा है. इस तरह साहित्य के प्रति श्याम बेसरा का झुकाव बढ़ने लगा. इसके बाद खुद भी साहित्य सृजन करने लगे. उन्होंने सैकड़ों कहानी, कविता व लेख लिखा है, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं.
जिसमें हिंदी में दुमका दर्पण, उत्कल भूमि, स्वर्णरेखा, अजयधारा, रेल रश्मि आदि प्रमुख हैं. संताली में रिमिल, हिपिरी, नावा मारसाल, हूल संवाद, युग सिरिजोन आदि प्रमुख हैं. वे एभेन आड़ांग पत्रिका के संपादक के रूप में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. उनकी पुस्तक दुलाड़ खातिर(1991) व दामिन कुल्ही(2005) भी प्रकाशित हो चुकी है.
संताली उपन्यास माड़ोम (मचान अर्थात वाच टावर) को मिला है पुरस्कार
समाज को जागृत करने का सशक्त माध्यम है साहित्य : श्याम
श्याम बेसरा ने बताया कि साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने से उनके परिवार में खुशी का माहौल है. उन्होंने बताया कि संताली साहित्य से जुड़ने की प्रेरणा उन्हें होड़ संवाद पत्रिका से मिली है. साहित्य समाज का आइना है. समाज को जागृत करने का एक सशक्त माध्यम है. वर्तमान समय में टेलीविजन का चलन बढ़ गया है. लेकिन पत्र-पत्रिकाओं का भी एक अपना दौर था. हालांकि, अभी भी पत्र-पत्रिकाओं का महत्व कम नहीं हुआ है.
दो बेटी एसबीआइ में कार्यरत
श्याम बेसरा एक अच्छे साहित्यकार के साथ-साथ एक अच्छे अभिभावक भी हैं. उनके चार पुत्र-पुत्रियां हैं. उनके नाम बेला बेसरा, रजनी बेसरा, संजीव बेसरा व बैजल बेसरा हैं. बेटी बेला बेसरा व रजनी बेसरा स्टेट बैंक इंडिया में कार्यरत हैं. पत्नी राधा बेसरा गृहिणी हैं.

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