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रांची : जहां संघर्ष व सच नहीं है, वहां गांधी नहीं : कुमार प्रशांत

महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर प्रभात खबर की साल भर तक चलनेवाली मुहिम के तहत हुआ पहला व्याख्यान गांधी जी की जीवन शैली को अपनाने की है जरूरत रांची : गांधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि युवाओं के लिए महात्मा गांधी वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं. इसके लिए […]

महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर प्रभात खबर की साल भर तक चलनेवाली मुहिम के तहत हुआ पहला व्याख्यान
गांधी जी की जीवन शैली को अपनाने की है जरूरत
रांची : गांधी पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि युवाओं के लिए महात्मा गांधी वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं. इसके लिए हमें गांधी जी के व्यक्तित्व व विचारों को बार-बार पढ़ने की जरूरत है. युवाओं को प्रेरित करने के लिए गांधी जी के 20 साल पहले के भाव को समझ कर नयी भाषा व मुहावरों का प्रयोग करना होगा. युवाओं को इससे जोड़ने की जरूरत है. नौजवान वैभव से प्रभावित होते हैं. खतरों से खेलना इनका स्वभाव होता है. इनसे संवाद करने के लिए हमें भाषा गढ़ने की जरूरत है.
जहां संघर्ष व सच नहीं है, वहां गांधी नहीं है. श्री प्रशांत रविवार को प्रभात खबर सभागार में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर प्रभात खबर की साल भर तक चलनेवाली मुहिम के तहत पहले व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने गांधी, युवा व वर्तमान परिदृश्य पर खुल कर अपनी बातें रखी.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एक ब्रांड नेम है, जो आज भी बिकता है. यही वजह है कि हर कोई इसे भुनाने की कोशिश कर रहा है. इसमें सरकार, संगठन व राजनेता भी पीछे नहीं हैं. महात्मा गांधी का असली स्वरूप लड़ाई का है. उन्होंने इसका उल्लेख भी किया है कि मैं लड़वइया हूं.
गांधी जी कभी खतरे से घबराते नहीं थे. उन्होंने ब्रिटिश सरकार को स्पष्ट तौर पर कहा था कि अगर आप दुनिया में लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो पहले भारत को आजाद करो. भारत भी लोकतंत्र बचाने की लड़ाई में साथ देगा. श्री प्रशांत ने कहा कि समाज सच्चाई व बहादुरी पर विश्वास रखनेवालों के पीछे चलता है.
यही वजह था कि भगत सिंह की तुलना में महात्मा गांधी के पीछे देश की करोड़ों जनता की फौज खड़ी थी. इसमें युवाओं की संख्या कहीं ज्यादा थी. महात्मा गांधी एक दिशा हैं. इसके लिए हमें नयी दृष्टि लानी होगी. श्री प्रशांत ने विश्व के वर्तमान संकट की ओर से इशारा करते हुए कहा कि आज दुनिया में कोई भी चीज असीमित नहीं है. ऐसे में हमें सीमित संसाधन के बीच गांधी जी की जीवन शैली को अपनाने की जरूरत है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का दायरा आज भी काफी सीमित है. यह देश की सिर्फ दो प्रतिशत आबादी को ही कवर करता है. 98 प्रतिशत आबादी आज भी इससे बाहर खड़ी है. ऐसे सोशल मीडिया को आज पूरी तरह से सक्सेस नहीं कहा जा सकता है. व्याख्यानमाला में प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी, एमडी केके गोयनका, कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता समेत कई लोग मौजूद थे.

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