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बंद हो चुकी योजना, फिर भी डीसीओ ने निकाले 31 लाख
मनोज सिंह समेकित सहकारी विकास परियोजना के नाम पर हुआ खेल केंद्र सरकार से अनुमति लिये बिना ही देवघर में समेकित सहकारी विकास परियोजना (आइसीडीपी) मद के 31 लाख रुपये खर्च कर दिये गये हैं. खास बात यह है कि यह परियोजना भारत सरकार ने बंद कर दी है. इसकी सूचना मिलने पर विभाग ने […]
मनोज सिंह
समेकित सहकारी विकास परियोजना के नाम पर हुआ खेल
केंद्र सरकार से अनुमति लिये बिना ही देवघर में समेकित सहकारी विकास परियोजना (आइसीडीपी) मद के 31 लाख रुपये खर्च कर दिये गये हैं. खास बात यह है कि यह परियोजना भारत सरकार ने बंद कर दी है. इसकी सूचना मिलने पर विभाग ने मामले की जांच करायी, जिसमें देवघर के तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी को दोषी पाया गया है. विभाग ने संबंधित अधिकारी से पूरी राशि वसूलने और कार्रवाई का आदेश जारी किया है.
रांची : केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर समेकित सहकारी विकास परियोजना मद के 31 लाख रुपये खर्च का आरोप देवघर के तत्कालीन सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) सुशील कुमार पर लगा है. विभाग जांच में पाया गया कि डीसीओ ने आइसीडीपी परियोजना बंद होने के बाद 31 मार्च 2013 को एक लाख, 26 मई 2014 को 20 लाख, 13 जून 2014 को 13 लाख 68 हजार और दो दिसंबर 2015 को 20653 रुपये निकाले हैं.
उन्होंने परियोजना की मूल राशि के साथ-साथ सूद की राशि भी निकाली है. जांच टीम ने पाया कि जिला सहकारिता कार्यालय को व्यवहार में नहीं आयी राशि को लौटाने का आदेश 21 मई 2015, 26 मई 2015, 12 नवंबर 2015, 16 मार्च 2016, 26 मई 2016 तथा 20 जुलाई 2016 को किया गया था. लेकिन, इस राशि को वापस करने की कोई सूचना अधिकारी ने नहीं दी.
तत्कालीन डीएओ का जवाब संतोषजनक नहीं
पैसा नहीं लौटाने संबंधी कारण जानने के लिए तत्कालीन जिला कृषि पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया. अधिकारी द्वारा भेजे गये जवाब से राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी संतुष्ट नहीं हुए.
अपनी रिपोर्ट ने उन्होंने जिक्र किया है कि वांछित जवाब से हटकर जवाब दिया गया, जिसका अवैधानिक व्यय से कोई संबंध नहीं था. जांच कमेटी ने लिखा है कि इससे स्पष्ट है कि निकासी विधि सम्मत नहीं है. इसके लिए तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी जिम्मेदार हैं. उनके 31 लाख 88 हजार 653 रुपये की वसूली की जा सकती है.
परियोजना की मूल राशि के साथ-साथ सूद की राशि भी निकाली गयी
कार्यालय बंद कर दिया है अधिकारी ने
राज्य के वरीय सहकारिता पदाधिकारी ने कार्यालय में ताला लगा दिया है. अधिकारी ताले की चाबी लेकर आते हैं, जाते समय ताला लगाकर चले जाते हैं. यहां दूसरे अधिकारी का पदस्थापन हो गया है. इस मामले को लेकर वह न्यायालय की शरण में चले गये थे. न्यायालय ने इस मामले में यथा स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है. इसकी शिकायत विभाग के सचिव से भी की गयी है.
चतरा में भी है गड़बड़ी का आरोप
चतरा में भी समेकित सहकारिता विकास परियोजना के पैसा में गड़बड़ी का आरोप है. इस मामले में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी से अंकेक्षण में दर्ज प्रतिवेदन पर स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी ने अपना जवाब राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी को नहीं दिया था.
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