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रांची : स्कूली बसों में अब तक नहीं लगे जीपीएस
टीमों ने डीसी को सौंपी रिपोर्ट, कहा : सेफ नहीं स्कूली बसे रांची : राजधानी के स्कूलों और बसों की जांच के लिए बनी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. करीब 70 स्कूलों की जांच के लिए 14 टीम बनी थी. इनमें 11 टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सौंपी गयी रिपोर्ट […]
टीमों ने डीसी को सौंपी रिपोर्ट, कहा : सेफ नहीं स्कूली बसे
रांची : राजधानी के स्कूलों और बसों की जांच के लिए बनी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. करीब 70 स्कूलों की जांच के लिए 14 टीम बनी थी.
इनमें 11 टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सौंपी गयी रिपोर्ट में स्कूलों में कई खामियां सामने आयी हैं. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि स्कूल बसों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. ड्राइवर और खलासी का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया जा रहा है. कई के लाइसेंस भी फेल पाये गये. कई बसों में जीपीएस सिस्टम नहीं पाया गया. स्कूल ट्यूशन शुल्क के अतिरिक्त कई प्रकार के शुल्क ले रहे हैं.
यही नहीं, एनसीइआरटी के साथ दूसरी किताबें खरीदने का दबाव बना कर अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डाल रहे हैं. इसके अलावा स्कूल से संबंधित कोई भी जानकारी साइट पर उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, जबकि इस बारे में स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया गया था. रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी गयी है. शेष तीन टीम की रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा.
दिव्यांग बच्चों और शिक्षकों का ब्योरा नहीं : सभी स्कूलों को दिव्यांग बच्चों को नामांकन लेने का निर्देश दिया गया था. साथ ही इसके लिए दिव्यांग शिक्षकों की नियुक्ति अनिवार्य बताया गया था. लेकिन किसी भी स्कूल ने जांच टीम को दिव्यांग बच्चों और शिक्षकों की जानकारी नहीं दे पायी.
नहीं हो रहा है आरटीइ का पालन : रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के नियमों का पालन नहीं हो रहा है. गरीब बच्चों के नामांकन के लिए स्कूल न तो विज्ञापन ही निकाल रहे हैं और न ही इसका प्रचार- प्रसार ही करते हैं. कितने बच्चों का नामांकन हुआ, कितनों ने स्कूल छोड़ा इसका रिकॉर्ड भी स्कूलों में नहीं है.
बसें खस्ताहाल, सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
अधिकांश स्कूल की बसों की स्थिति खराब है. स्कूलों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. बस चालक व खलासी का पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराया जाता है. बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं. नियमों के अनुसार स्कूल बसों के अंतिम स्टॉपेज तक बच्चों के साथ जाने के लिए स्कूल के शिक्षक या किसी प्रतिनिधि का होना जरूरी है. लेकिन अंतिम स्टॉपेज तक सिर्फ खलासी के भरोसे ही बच्चों को छोड़ दिया जाता है.
बसों में जो कमियां पायी गयीं
बस के सहचालक का नाम, पता नहीं बताया गया
ड्राइवर, खलासी के पुलिस सत्यापन की रिपोर्ट नहीं
अधिकांश स्कूल की बसों में जीपीएस नहीं लगा है
परिवहन विभाग का हेल्पलाइन नंबर अंकित नहीं
इमरजेंसी गेट की व्यवस्था अधिकांश बसों में नहीं है
कई बसों में स्कूल के नाम कहीं नहीं लिखे थे
कई स्कूलों में बस फीस 12 माह की ली जा रही
बसों के अंदर स्कूल बैग रखने की व्यवस्था नहीं
स्पीड गवर्नर किसी भी स्कूल बस में नहीं मिला
बसों में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है
अग्निशमन यंत्र की मियाद की अवधि अंकित नहीं
किसी भी बस के अंदर अलार्म बेल नहीं पाया गया
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