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रांची : आदिवासियों के विकास के विरोधी हैं ईसाई मिशनरी और झामुमो : भाजपा
धर्मांतरण बिल आने के बाद से ईसाई मिशनरी की बौखलाहट और बढ़ गयी है एक का काम धर्म का प्रचार करना है,तो दूसरे का काम राजनीति करना रांची : ईसाई मिशनरी और झामुमो आदिवासियों के विकास के विरोधी हैं. गरीब आदिवासियों की जमीन हड़प कर भी ये दोनों खुद को आदिवासियों का मसीहा के रूप […]
धर्मांतरण बिल आने के बाद से ईसाई मिशनरी की बौखलाहट और बढ़ गयी है
एक का काम धर्म का प्रचार करना है,तो दूसरे का काम राजनीति करना
रांची : ईसाई मिशनरी और झामुमो आदिवासियों के विकास के विरोधी हैं. गरीब आदिवासियों की जमीन हड़प कर भी ये दोनों खुद को आदिवासियों का मसीहा के रूप में पेश कर रहे हैं. अखबारों में ऐसे बयान देते हैं कि आदिवासियों के लिए ये चिंतित हैं. धर्मांतरण बिल आने के बाद से इनकी बौखलाहट और बढ़ गयी है. उक्त बातें सोमवार को भाजपा के प्रदेश महासचिव दीपक प्रकाश, प्रवक्ता जेबी तुबिद व प्रतुल शाहदेव ने कही.
प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में नेताओं ने कहा कि एक का काम धर्म का प्रचार करना है, तो दूसरे का काम राजनीति करना. दोनों अपने-अपने काम की आड़ में आदिवासियों की जमीन छीन रहे हैं. पत्थलगड़ी हो या धर्मांतरण बिल दोनों मामले में इनके सुर एक समान हैं. झामुमो को भी सरना और संताल समाज के हित से कई मतलब नहीं है. चर्च के इशारे पर ये धर्मांतरण बिल का विरोध और पत्थलगड़ी का समर्थन कर रहे हैं. चर्च काम धर्म का प्रचार करना है, लेकिन ये राजनीति कर रहे हैं. अगर राजनीति करनी है, तो राजनीतिक दल बना कर करें.
आदिवासी अपनी जमीन की लड़ाई लड़ने में सक्षम
भाजपा नेताओं ने कहा कि आदिवासी अपनी जमीन की लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम हैं. इसके लिए ईसाई मिशनरियों का साथ नहीं चाहिए. इनके हक की लड़ाई लड़ने के लिए भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल हैं. आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने का काम चर्च और झामुमो नेताओं ने किया है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर इन्होंने काफी जमीन को हथिया लिया है.
इन्हें डर है कि सरकार उनकी जमीन वापस लेकर आदिवासियों को न सौंप दे. इसलिए वे एक साथ खड़े हो गये हैं. भाजपा राज्य में बने सभी चर्च, मिशनरी की जमीन व झामुमो नेताओं की जमीन की जांच की मांग करती है. नेताओं ने कहा कि पत्थलगड़ी समर्थक गांव में सरकारी स्कूल को बंद कर रहे हैं, लेकिन मिशनरी स्कूल को छोड़ दिया जा रहा है. इससे साबित होता है कि इनमें सांठगांठ है. क्या कारण है कि जब पत्थलगड़ी समर्थक स्कूल से लड़कियों को लेने आये थे, तब पादरी ने सिस्टर को नहीं जाने दिया, सिर्फ लड़कियों को जाने दिया. क्या इसमें चर्च और पत्थलगड़ी समर्थकों की मिलीभगत साबित नहीं होती है? पत्थलगड़ी समर्थकों के साथ उग्रवादी संगठन का सीधा संपर्क है, यह साबित हो चुका है.
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