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अफवाह उड़ायी जायेगी, जज्बात उभारे जायेंगे, हमलोग अगर खामोश रहे…
झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की काव्य गोष्ठी में जुटे कई साहित्यकार रांची : झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की मासिक बैठक सह काव्यगोष्ठी रविवार को हुई. कवि निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के कुसुम विहार मोरहाबादी स्थित आवास पर इस दौरान कई भावों के रंग छलके. कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं संचालन कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव निरंकुश ने […]
झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की काव्य गोष्ठी में जुटे कई साहित्यकार
रांची : झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की मासिक बैठक सह काव्यगोष्ठी रविवार को हुई. कवि निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के कुसुम विहार मोरहाबादी स्थित आवास पर इस दौरान कई भावों के रंग छलके. कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं संचालन कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव निरंकुश ने की.
गोष्ठी की शुरुआत डॉ राजश्री जयंती की गजल से हुई. इसके बाद असित ने देशभक्ति से संबंधित कविता सुनायी. सदानंद सिंह यादव ने गजल : ‘दिल बहलता नहीं आ भी जा आ भी जा’ के साथ समाज की भीषण समस्या दहेज पर गीत सुनाया : दहेजवा के मांग कलेजवा मोरा कांपे गे बहिना…
शालिनी नायक ने तरन्नुम में अपनी गजल : ‘गुर्बत में भी पलना सीखो/हर सांचे में ढलना सीखो/हार के मत बैठो रस्ते में/हिम्मत करना, चलना सीखो’ सुना कर लोगों की वाहवाही बटोरी. सुनील सिंह बादल ने ‘सरकार किसकी बनेगी शहर वाला भी जानना चाहता है और गांव वाला भी…’ कविता से एक नये विकल्प की ओर इशारा किया.
कवयित्री प्रतिभा सिंह ने : हां देखा है मैंने उसका अधजला बदन… गरिमा पाठक ने : सीता ने दी अग्नि परीक्षा, त्यागी गयी राम से… प्रस्तुत की. कवि हिमकर श्याम ने : ‘दर्द का कारवां गुजर जाये/वक्त के साथ घाव भर जाये’ सुनायी. निरंजन श्रीवास्तव ने कविता ‘…इसलिए गांव के सीमांत पर/जाती हुई वर्षा रानी का आंचल पकड़/मैंने उसे रोका और पूछा/अगले साल फिर आओगी न/जरूर आना’ सुनायी.
वरिष्ठ कवि हरेराम त्रिपाठी चेतन ने : ‘अफवाह उड़ायी जायेगी और जज्बात उभारे जायेंगे/हमलोग अगर खामोश रहे, हम भी मारे जायेंगे’ रचना सुनायी. प्रशांत करण ने : ‘हर उगते सूरज से अनायास जल उठते हैं उम्मीदों के दीये, ऐसा नहीं है कि दिन ढलते ही बुझने लगते हैं…’ की प्रस्तुति दी. कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव निरंकुश ने : ‘उन्होंने कहा कि हम तो कवि हैं, इतिहास बदलने वाले है…’ कविता सुनायी. अंत में मंच के संरक्षक जस्टिस विक्रमादित्य ने : खिड़कियां खोल दो जरा पर्दे तो हिले/मेज पे रखा हुआ अखबार उड़े/तेरी जुल्फें लहरें बंद हवाओं को आजादी मिले… सुनाकर लोगों की सराहना बटोरी. धन्यवाद ज्ञापन सचिव सुनील सिंह बादल ने किया.
मंच की भावी योजनाओं पर चर्चा की गयी
मंच के सक्रिय सदस्य और बैठक के आयोजक निरंजन प्रसाद श्रीवास्तन ने मंच के आयोजन को धन्य बताते हुए आगत सभी मंच के सदस्यों का स्वागत किया. मंच के उपाध्यक्ष प्रशांत करण ने कार्यकारिणी की भावी योजनाओं की खुल कर एक एक बिंदु पर चर्चा की, जिसे सभी ने स्वीकार किया. असित कुमार ने भी अपने विचार रखे.
मंच के मार्ग दर्शक विनय सरावगी ने मंच के कार्यों की प्रशंसा की तथा हर दम यथासंभव मंच को और सुदृढ़ तथा एक विशेष पहचान बनाने के विषय पर जोर डाला.
विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित हरे राम त्रिपाठी चेतन ने मंच के कार्यक्रमों की खुल कर प्रशंसा की. मंच के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद निरंकुश ने मंच के विगत विविध कार्यकलापों के आधार पर मंच की गरिमा बनाये रखने के लिए सभी सदस्यों को प्रेरित किया. मंच के संरक्षक ने अपना आशीर्वचन दिया.
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