रांचीः राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को सभी राज्यों में पांच जुलाई 2014 तक लागू करना है. इसके तहत अंत्योदय परिवारों को 35 किलो और प्राथमिकता वाले परिवारों को पांच किलो खाद्यान्न मुहैया कराना है. तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो मोटा अनाज दी जायेगी. यह बात सर्वोच्च न्यायालय के झारखंड राज्य सलाहकार बलराम ने कही.
वे ‘भोजन के अधिकार अभियान, झारखंड’ की ओर से रविवार को एचआरडीसी में आयोजित पूर्वी राज्यों की बैठक के पहले दिन बोल रहे थे. इसमें झारखंड, बिहार व पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि शामिल हुए. बलराम ने कहा कि बच्चों के खाद्य सुरक्षा अधिकार भी इस कानून के दायरे में हैं. आंगनबाड़ी केन्द्र से मिलने वाली सुविधाएं भी शामिल हैं. गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये राशि देने का प्रावधान है.
पीडीएस से जुड़े सभी दस्तावेज व जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी. बिहार के राज्य सलाहकार सदस्य रूपेश ने कहा कि अधिनियम में ग्रामीण इलाकों के 86 फीसदी परिवारों को आच्छादित करने की बात है, लेकिन बिहार के मापदंड के अनुसार अधिकतम 66 फीसदी परिवार ही शामिल हो पायेंगे. अधिनियम की सबसे बड़ी खामी है कि इसमें परिवार की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है.
बिहार ने फरवरी माह में पीडीएस सुधार के लिए सरकारी पहल शुरू की है, लेकिन यह काफी हड़बड़ी में किया गया है. वहां राज्य खाद्य निगम व फूड कारपोरेशन ऑफ इडिया के बीच समन्वय का अभाव है. पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों ने बताया कि वहां की सीमाएं बांग्लादेश से जुड़ी हैं. सीमा क्षेत्र में रहने वाले दो लाख ऐसे परिवार हैं, जिनकी कोई नागरिक पहचान नहीं है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा की गारंटी योजना कैसी हो, इसपर विचार होना चाहिए. बैठक में आंगनबाड़ी, मध्याह्न् भोजन, जनवितरण प्रणाली योजना में सुधार व अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई. खाद्यान्न के बदले नगद या कूपन की बात खारिज की गयी.