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चल रही हैं 25 वर्ष पुरानी बसें

रांची: राजधानी के स्कूलों में ठेका पर चलने वाली अधिकांश स्कूली बसों की स्थिति ठीक नहीं है. लंबी दूरी के लिए अनुपयुक्त बसों को स्कूली बच्चों को ढोने के काम में लाया जाता है. इन स्कूलों में 25 से 30 वर्ष तक पुरानी बसों का परिचालन किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूलों […]

रांची: राजधानी के स्कूलों में ठेका पर चलने वाली अधिकांश स्कूली बसों की स्थिति ठीक नहीं है. लंबी दूरी के लिए अनुपयुक्त बसों को स्कूली बच्चों को ढोने के काम में लाया जाता है. इन स्कूलों में 25 से 30 वर्ष तक पुरानी बसों का परिचालन किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूलों में चलने वाली आधी से अधिक बसें ठेका पर चलायी जा रही हैं. इनमें से अधिकांश बसें लंबी दूरी के लिए रिजेक्ट करार दी गयी हैं. राजधानी के स्कूलों में लगभग 350 बसें ठेका पर चलती है. इनमें से लगभग 300 बसें पुरानी हैं. कुछ स्कूलों में ठेका पर चलने वाली बसें नयी भी हैं.

जिन बसों को लंबी दूरी के परिचालन के फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं मिलता, उसे स्कूल में ठेका पर चलाया जाता है. स्कूल प्रबंधन की ओर से जांच भी नहीं की जाती कि बस की स्थिति कैसी है. चलने लायक है भी या नहीं. ठेका पर चलने वाली बसों के परिचालन की पूरी जिम्मेदारी बस मालिक की होती है.

इन बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में स्कूल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और सारा दोष बस मालिक पर मढ़ देते हैं. स्कूल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है.

नहीं चला सकते सवारी बस
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप स्कूलों में सवारी बसों का परिचालन नहीं किया जा सकता. स्कूल में चलने वाली बसों के लिए अलग से मापदंड निर्धारित किये गये हैं. स्कूल बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे सेल्फ होना चाहिए. बस के दरवाजे पूरी तरह से लॉक होने चाहिए. देखा गया है कि राजधानी में संचालित की अधिकांश स्कूल बसों की सीट निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं है. टू बाई टू बस में छोटे बच्चों को बैठने में काफी परेशानी होती है. बच्चों को बस पर चढ़ने में भी परेशानी होती है.

जांच में पायी गयी गड़बड़ी

खिड़की में सुरक्षा जाली नहीं.

बस ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं.

फिटनेस व बीमा के कागजात नहीं.

बसों में फस्र्ट एड बॉक्स नहीं.

सीट की स्थिति ठीक नहीं.

नहीं चलानी थी 15 वर्ष पुरानी बस

स्कूलों में 15 वर्ष से अधिक पुरानी बसों का परिचालन नहीं किया जाना है. इसे लेकर जिला प्रशासन द्वारा स्कूलों को निर्देश भी जारी किया गया था. स्कूलों का कहना था कि एक बार में सभी बसों को नहीं हटाया जा सकता. स्कूल चरणबद्ध तरीके से बसों को बदलने कार्य करेंगे, पर स्कूलों ने बसों में बदलाव नहीं किया.

70 व 80 के दशक की बसें

स्कूलों में ठेका पर चलने वाली अधिकांश बसों की स्थिति ठीक नहीं है. ठेका पर चलने वाली अधिकांश बसें लंबी दूरी के परिचालन में रिजेक्ट करार दी जा चुकी हैं.

70 की दशक की बसें : बीएचएन 5264,बीएचएन 6490,बीएचएन 9332, बीएचएन 8586

80 की दशक की बसें : बीपीएन 5281, बीआइएन 9482, बीपीवाइ 9105, बीपीएन 8768, बीएचवी 8967,बीपीवाइ 9718, बीएचएफ 9616, बीपीजी 4869

निर्धारित मापदंड

बस का चालक कम से कम पांच वर्ष अनुभवी हो.

बस पर स्कूल, चालक व कंडक्टर का फोन नंबर लिखा हो.

गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं हो.

बसों की खिड़की में जाली लगी हो.

सीट सीधी हो, बैग रखने के लिए नीचे सेल्फ हो.

फस्र्ट एड बॉक्स व अगिAशमन यंत्र हो.

रेडियो, टेलीविजन या ध्यान बंटाने वाला कोई यंत्र नहीं हो.

बस पर फिटनेस व बीमा की अंतिम तिथि अंकित हो.

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