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शिष्ट से बनेगी खाद और दूषित जल से होगा पटवन

रांची : राजधानी रांची सहित राज्य के अन्य सभी शहरी निकायों में सीवरेज सिस्टम बनाने के बजाय सेप्टिक टैंक की गंदगी को साफ कर उसका ट्रीटमेंट करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट सिस्टम अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. यानी सेप्टिक टंकी से निकले शिष्ट से खाद बनाया जायेगा और दूषित जल का ट्रीटमेंट […]

रांची : राजधानी रांची सहित राज्य के अन्य सभी शहरी निकायों में सीवरेज सिस्टम बनाने के बजाय सेप्टिक टैंक की गंदगी को साफ कर उसका ट्रीटमेंट करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट सिस्टम अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. यानी सेप्टिक टंकी से निकले शिष्ट से खाद बनाया जायेगा और दूषित जल का ट्रीटमेंट कर इसे खेतों या बागों में पटवन के लिए इस्तेमाल किया जायेगा. नगर विकास विभाग ने इसके लिए प्लान भी तैयार किया है.
फीकल मैनेजमेंट को अनिवार्य रूप से लागू करने को लेकर मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन स्थित सभा कक्ष में विभिन्न निकाय के पदाधिकारियों व एजेंसी के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की गयी.
मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि स्वच्छता के लिए वेस्ट वाटर एंड फीकल स्लज मैनेजमेंट (अवशिष्ट जल एवं मल युक्त गाद प्रबंधन) को लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शहरी स्वच्छता की चुनौतियां कई तरह की हैं.
इसका सीधा संबंध मानव स्वास्थ्य से जुड़ा है. यदि मानव मल का प्रबंधन और उपचार ढंग से नहीं किया जाता है, तो यह खाद्य पदार्थ के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है. इसलिए सभी शहरों में फीकल स्लज मैनेजमेंट के द्वारा ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर सेप्टिक टैंक की गंदगी का ट्रीटमेंट होना जरूरी है.सूडा के निदेशक राजेश शर्मा ने विस्तार से यह जानकारी दी.
महज दो एकड़ भूमि में लग सकता है यह प्लांट : बताया गया कि वेस्ट वाटर एंड फीकल स्लज मैनेजमेंट का प्लांट महज दो एकड़ की भूमि में लग सकता है. एक सीवरेज सिस्टम बनाने में जितनी लागत आती है, उसके 25 वें हिस्से में यह काम हो सकता है. चिरकुंडा शहरी निकाय में में बेंगलुरु की कंपनी सीडीडी इस पर काम भी कर रही है. इस संस्था द्वारा अन्य निकायों में भी काम करने का प्रस्ताव दिया गया है. संस्था फ्री आफ कॉस्ट काम करेगी. सॉयल टेस्टिंग व अन्य काम सरकार को कराना होगा. सरकार फिलहाल इसे पहले छोटे शहरों में आजमा कर देखना चाहती है. सफल होने पर इसे रांची व धनबाद जैसे नगर निगमों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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