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झारखंड : 42 विधायकों और दो सांसदों ने किया समर्थन, कहा, कुरमी को दें एसटी का दर्जा

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के नेतृत्व में सीएम से मिला कुरमी संघर्ष मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल सीएम ने कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को दिया निर्देश, टीआरआइ को भेजें प्रस्ताव रांची : झारखंड के 42 विधायक आैर दो सांसद चाहते हैं कि कुरमी/कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले. इसको लेकर इन्होंने झारखंड कुरमी […]

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के नेतृत्व में सीएम से मिला कुरमी संघर्ष मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल
सीएम ने कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को दिया निर्देश, टीआरआइ को भेजें प्रस्ताव
रांची : झारखंड के 42 विधायक आैर दो सांसद चाहते हैं कि कुरमी/कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले. इसको लेकर इन्होंने झारखंड कुरमी संघर्ष मोर्चा की मांग का समर्थन किया है.
सांसद, विधायकों ने कुरमी को एसटी में शामिल कराने को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपे गये ज्ञापन में हस्ताक्षर भी किया है. गुरुवार को पूर्व सांसद सह झारखंड कुरमी संघर्ष मोर्चा के संयोजक शैलेंद्र महतो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात की. साथ ही ज्ञापन सौंप कर कुरमी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया.
मोर्चा की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, सांसद विद्युत वरण महतो, सांसद राम टहल चौधरी समेत राज्य के 42 विधायकों ने अपना हस्ताक्षर किया है. शैलेंद्र महतो ने बताया कि सीएम ने कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को बुला कर निर्देश दिया कि वे इस प्रस्ताव को जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) को भेजें.
आर्थिक व सामाजिक तौर पर पिछड़े हैं कुरमी: मुख्यमंत्री को सौंपे गये पत्र में कहा गया है कि 23 नवंबर 2004 को राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल में निर्णय लेकर कुरमी/कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने को लेकर केंद्र सरकार से अनुशंसा की थी. छह अगस्त 2005 को जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशक राजीव प्रकाश ने राज्य सरकार को पत्र भेज कर मानव जातीय रिपोर्ट का हवाला दिया.
इसमें कहा गया कि कुरमी जाति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति अनुसूचित जनजातियों की स्थिति से अच्छी है. इसलिए इस जाति को यथास्थिति बनाये रखने की आवश्यकता है. प्रतिनिधिमंडल की ओर से बताया गया कि मानव जातीय रिपोर्ट तथ्यहीन है. एचएच रिस्ले के इथनोग्राफिक रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन छोटानागपुर एवं ओड़िशा के कुरमी जाति को जनजाति माना गया.
इसका प्रकाशन 1891-92 में द ट्राइब एन कास्ट ऑफ बंगाल नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है. झारखंड के कुरमी/कुड़मी जनजाति हैं. कुरमी/कुड़मी कोलारियन सामाजिक प्राथ कानून के तहत निर्देशित होते हैं. इनकी संस्कृति, सामाजिक एवं धार्मिक आस्था अन्य अनुसूचित जनजाति जैसे मुंडा, उरांव, संताल, हो, भूमिज, खड़िया आदि के समान है. कुरमी जाति सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में काफी पिछड़े हैं. इनकी ज्यादातर जमीन डैम, खान, उद्योग एवं विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित कर ली गयी. प्रतिनिधिमंडल ने टोटेमिक कुरमी/कुड़मी (महतो) जाति को अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग की.
हस्ताक्षर करनेवाले सांसद व विधायक
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, सांसद विद्युतवरण महतो, सांसद रामटहल चौधरी, विधायक चंपई सोरेन, योगेश्वर महतो, योगेंद्र प्रसाद, जय प्रकाश भाई पटेल, कुणाल षाड़ंगी, साधुचरण महतो, जगन्नाथ महतो, नागेंद्र महतो, इरफान अंसारी, जीतू चरण राम, अमित कुमार, विकास मुंडा, निर्भय शाहबादी, जय प्रकाश वर्मा, दशरथ गगराई, अनंत ओझा, नारायण दास, रवींद्र महतो, ताला मरांडी, चंद्र प्रकाश चौधरी, निर्मला देवी, शशि भूषण समड, बिरंची नारायण, प्रकाश राम, प्रदीप यादव, कुशवाहा शिवपूजन मेहता, पीसी मंडल, राज सिन्हा, आलोक चौरसिया, गणेश गंझु, राज कुमार यादव व अन्य.
शैलेंद्र महतो ने की पहल : पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कुरमी जाति को एसटी में शामिल कराने को लेकर मुहिम शुरू की है. इसके तहत उन्होंने सांसद, विधायकों का समर्थन मांगा. वे खुद सांसद-विधायकों के घर गये और उनसे हस्ताक्षर कराया.

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