रांची : डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र ने चारा घोटाले के किंगपिन श्याम बिहारी सिन्हा को सेवा विस्तार देने की अनुशंसा की थी. इसे स्वीकार करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उन्हें सेवा विस्तार का लाभ दिया. घोटाले की जांच के दौरान सीबीआइ को इस बात की जानकारी मिली.
इस मामले से जुड़े दस्तावेज की जांच के दौरान सीबीआइ ने पाया कि पशुपालन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक श्याम बिहारी सिन्हा 31 दिसंबर 1993 को रिटायर होनेवाले थे. सिन्हा ने पशुपालन विभाग के तत्कालीन निदेशक डॉक्टर राम राज राम को एक आवेदन दिया.
चार दिसंबर 1993 को दिये गये अपने आवेदन में श्याम बिहारी सिन्हा ने दो साल सेवा विस्तार देने का अनुरोध किया. सिन्हा द्वारा सेवा विस्तार के लिए आवेदन दिये जाने के दूसरे ही दिन यानी पांच दिसंबर को डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को एक अनुशंसा पत्र लिखा. इसमें उन्होंने श्याम बिहारी सिन्हा द्वारा किये गये कार्यों की सराहना ही. हालांकि उस वक्त तक पशुपालन विभाग में अधिक निकासी सहित स्कूटरों पर चारा और पशुओं को ढोये जाने का मामला प्रकाश में आ चुका था.
साथ ही श्याम बिहारी सिन्हा पर गंभीर आरोप लग चुके थे. इसके बावजूद डॉक्टर मिश्र ने सिन्हा के तारीफ में पत्र लिखा और दो साल सेवा विस्तार देने की अनुशंसा की. पशुपालन विभाग के तत्कालीन निदेशक ने श्याम बिहारी सिन्हा के आवेदन पर कार्रवाई के लिए उसे आगे बढ़ाया.
तत्कालीन मंत्री भोला राम तूफानी और चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने सुनियोजित साजिश के तहत इस पर किसी तरह की आपत्ति नहीं की. इसके बाद यह फाइल तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के पास भेजी गयी. उन्होंने सिन्हा को एक जनवरी 1994 से एक साल के लिए सेवा विस्तार का लाभ देने का फैसला किया. जांच में पाया गया कि सिन्हा के अवधि विस्तारवाले एक साल के कार्यकाल में पशुपालन विभाग में अधिक निकासी घटनाएं बढ़ी. सिन्हा के कार्यकाल में आवंटन के मुकाबले 229 प्रतिशत अधिक निकासी हुई.