मंत्री सरयू राय ने पशुपालन घोटाले से संबंधित मामले में दिया सुझाव, सीएम को लिखा
Advertisement
ट्रेजरी से हुई निकासी पर सीएस से जवाब लें
मंत्री सरयू राय ने पशुपालन घोटाले से संबंधित मामले में दिया सुझाव, सीएम को लिखा रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने पशुपालन घोटाले से संबंधित एक मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से स्पष्टीकरण मांगने का सुझाव मुख्यमंत्री को दिया है. उन्होंने सीएम को लिखा कि आपके स्तर से उन्हें निर्देश दिया जाना […]
रांची : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने पशुपालन घोटाले से संबंधित एक मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से स्पष्टीकरण मांगने का सुझाव मुख्यमंत्री को दिया है. उन्होंने सीएम को लिखा कि आपके स्तर से उन्हें निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे राज्य के पूर्ववर्ती मुख्य सचिवों द्वारा पर पशुपालन घोटाला में चाईबासा ट्रेजरी से हुई अवैध निकासी के संदर्भ में समय- समय पर पूछे गये स्पष्टीकरण का शीघ्र जवाब दें,
ताकि समय सीमा के भीतर इस मामले का विधिसम्मत निष्पादन हो सके और कानून व सुशासन के मर्यादा की रक्षा की जा सके.
श्री राय ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि सीबीआइ ने चाईबासा कोषागार से हुई अवैध निकासी पर तत्कालीन उपायुक्त राजबाला वर्मा पर अनुशासनिक कार्रवाई चलाने को कहा था. सीबीआइ के प्रतिवेदन में कहा गया था कि श्रीमती वर्मा अप्रैल 1990 से दिसंबर 1991 तक चाईबासा की उपायुक्त थीं. इस दौरान उनके द्वारा कोषागार का निरीक्षण नहीं करने, कोषागार से हो रहे व्यय की मासिक विवरणी महालेखाकार को नहीं भेजने व कोषागार के कार्यकलापों पर निगरानी नहीं रखने के कारण चाईबासा कोषागार से गलत निकासी हुई है. ऐसे में इन पर सरकार द्वारा अनुशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए.
इसके बाद वर्ष 2000 से लेकर 2014 तक समय-समय पर अलग-अलग मुख्य सचिवों ने उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कम से कम 15 बार लिखा. श्री राय ने लिखा है कि श्रीमती वर्मा ने एक बार भी जवाब नहीं दिया है. ऐसे में पशुपालन घोटाले को लेकर उन पर लगे आरोपों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने व आगे की जांच कर कार्रवाई करने की प्रक्रिया लंबे समय से रुकी हुई है.
राजबाला द्वारा जवाब नहीं देना जांच का विषय
श्री राय ने मुख्यमंत्री को लिखा कि बार-बार स्मारित करने के बावजूद श्रीमती वर्मा द्वारा जवाब नहीं देना तथा सक्षम प्राधिकार द्वारा मामले में कोई कार्रवाई नहीं नहीं करना, जांच का विषय है. इसमें जिम्मेवारी भी सुनिश्चित हो. अन्यथा राज्य की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. श्री राय ने यह भी लिखा कि अॉल इंडिया सर्विसेज डिस्प्लिनरी रुल्स -1969 के नियम -9 के तहत सक्षम प्राधिकार द्वारा मांगे जाने पर आरोपी अधिकारी को 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने का प्रावधान है, ताकि जांच कर दंड निर्धारण हो सके, लेकिन 15 साल के बाद भी स्पष्टीकरण का जवाब तक नहीं दिया गया.
वर्ष 2000 से लेकर 2014 तक स्पष्टीकरण के लिए 15 बार लिखा गया था
सीबीआइ ने चाईबासा कोषागार से हुई अवैध निकासी पर झारखंड सरकार को राजबाला वर्मा पर अनुशासनिक कार्रवाई चलाने को कहा था
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement