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चान्हो के लाल थे शहीद जयप्रकाश उरांव नवाडीह के किसी घर में नहीं जला चूल्हा
रांची/चान्हो: मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान 35 वर्षीय जयप्रकाश उरांव के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद उनके पैतृक गांव चान्हो के नवाडीह में बुधवार शाम से ही मातम पसरा हुआ है. शहीद के घर के अलावा अड़ोस-पड़ोस के कई घरों में चूल्हे नहीं जले हैं. पथराई आंखों से […]
रांची/चान्हो: मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान 35 वर्षीय जयप्रकाश उरांव के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद उनके पैतृक गांव चान्हो के नवाडीह में बुधवार शाम से ही मातम पसरा हुआ है. शहीद के घर के अलावा अड़ोस-पड़ोस के कई घरों में चूल्हे नहीं जले हैं. पथराई आंखों से हर शख्स इंतजार करता रहा कि कब उसके बहादुर लाल का पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा. शहीद की मां लक्ष्मी उरांइन व पिता सुकरा उरांव के आंसू सूख चुके हैं. उन्हें अब भी यकीन नहीं है कि उनका बेटा उनके बीच नहीं है.
बेटे को खाेने का दु:ख है, तो गर्व भी : सुकरा उरांव
पिता को बेटे को खाेने का दु:ख है, तो गर्व भी है कि उनके पुत्र ने देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी है. वहीं शहीद की पत्नी एमा संगीता लकड़ा का रो-रो कर बुरा हाल है. अपनी चार साल की बेटी सृष्टि व दो साल की बेटी स्मृति को गोद में लिए संगीता बार-बार यही कह रही थी कि जयप्रकाश ने 20 नवंबर को घर आने व छह दिसंबर को स्मृति का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की बात कही थी. तब से वह एक-एक दिन गिन रही थी. लेकिन 15 नवंबर की शाम मनहूस खबर आयी कि वे शहीद हो गये हैं. संगीता ने बताया कि सोमवार की शाम व मंगलवार की सुबह जेपी ने बच्चों का हाल पूछा था. बड़ी बेटी सृष्टि से बात की थी. उसने कहा था कि पापा हम बोरोप्लस लगा रहे हैं. बोरोप्लस खत्म हो गया है. आप ला दीजिए न. तब उन्होंने कहा था कि हम जल्द आ रहे हैं बेटा और तुम्हारे लिए ढेर सारा बोरोप्लस भी साथ लायेंगे. जयप्रकाश के शहीद होने की सूचना पाकर गांव पहुचीं उनकी दोनों बहनें सोनामणि व कोइली उरांव की आंखें भी नम थी. उन्होंने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले भाई ने फोन किया था और कहा था कि स्मृति का जन्मदिन मनाने के लिए वह घर आयेगा. जयप्रकाश के सबसे नजदीकी मित्र रवि तिर्की बताते हैं कि जयप्रकाश स्वभाव से बेहद मिलनसार था. गांव में जब किसी बात पर पंचायत होती थी, तो वह हमेशा न्याय के पक्ष में खड़ा रहता था.
2005 में नौकरी ज्वाइन की थी : जयप्रकाश उरांव ने 2005 में सेना की नौकरी ज्वाइन की थी. असम राइफल में ज्वाइनिंग के बाद त्रिपुरा में तैनात थे. 15 दिन पूर्व ही पोस्टिंग मणिपुर में हुई थी. सात भाई-बहनों में दूसरे नंबर के जयप्रकाश के तीन अन्य भाई विश्वनाथ उरांव, बसंत उरांव व रंजीत उरांव गांव में खेती बारी करते हैं. तीन बहनें सुमरी उरांइन, कोइली उरांइन व सोनामणि उरांइन का विवाह हो चुका है. जयप्रकाश ने प्रारंभिक शिक्षा चान्हो के पोड़ाटोली िस्थत सरना बाल विकास विद्यालय से प्राप्त की थी. उसके बाद रांची में रह कर पार्ट वन की पढ़ाई कर रहे थे. इसी दौरान सेना में चले गये. जयप्रकाश का विवाह 2010 में कुड़ू के जामडीह निवासी एमा संगीता लकड़ा से हुई थी. वह इंटर पास है. नर्सिंग का कोर्स भी कर चुकी है. चार साल की सृष्टि चान्हो के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ती है. संगीता के अनुसार जयप्रकाश सरहुल से पहले एक महीने की छुट्टी लेकर गांव आये थे. उसे क्या मालूम था कि यह उनकी अंतिम मुलाकात थी.
बहादुरी को सलाम किया : शहीद के शोक संतप्त परिवार से मिलने चान्हो के सांसद प्रतिनिधि दीनानाथ मिश्रा, उप प्रमुख चंदन गुप्ता, जिला बीस सूत्री सदस्य शफीक अंसारी, भाजपा की सोनी तबस्सुम, प्रखंड बीस सूत्री अध्यक्ष सतीश कुमार, ओबीसी मोर्चा के मंत्री कृष्ण मोहन कुमार व अन्य लोग भी नवाडीह पहुंचे थे. विधायक गंगोत्री कुजूर ने जयप्रकाश की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा है कि देश की रक्षा के दौरान शहीद हुए चान्हो का लाल उनके ही गृह पंचायत रघुनाथपुर का निवासी था. उन्होंने सरकार से बात की है. 17 नवंबर को सरकार की ओर से नवाडीह गांव जाकर शहीद के परिजनों को 10 लाख की सहायता राशि दी जायेगी.
सरकारी सहायता के नाम पर शौचालय मिला है : चान्हो प्रखंड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित रघुनाथपुर पंचायत के नवाडीह गांव की आबादी करीब चार सौ है. अधिकांश लोगों का पेशा खेती बारी है. शहीद जयप्रकाश के अलावा यहां के धर्मदेव उरांव, जोसेफ कुजूर व रोशन टोप्पो सेना में हैं. साथ ही पांच युवक सीआइएसएफ व एक जिला पुलिस बल में हैं. शहीद के पिता व अन्य चार भाई खेती बारी पर ही आश्रित हैं. जयप्रकाश उरांव का परिवार सहित सभी सदस्य सात कमरों के एस्बेस्टस से बने घर में रहते हैं. सरकारी सहायता के नाम पर हाल ही में एक शौचालय मिला है. इसके अलावा सिंचाई कूप, डोभा व अन्य कोई लाभ नहीं मिला है. करीब डेढ़ एकड़ पुश्तैनी जमीन है जिसमें खेती बारी कर सबका गुजारा होता है. गांव में बिजली के अलावा पक्का पहुंच पथ है, लेकिन उसकी स्थिति ठीक नहीं है.
शहीद के परिजनों को 10 लाख देने की घोषणा : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शहीद जयप्रकाश उरांव के परिजनों को 10 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है. श्री दास ने कहा कि जवान की शहादत बेकार नहीं जायेगी. दु:ख की इस घड़ी में सरकार उनके परिजनों के साथ है.
पार्थिव शरीर आज पहुंचेगा नवाडीह : शहीद के पार्थिव शरीर को नामकुम मिलिट्री अस्पताल से शुक्रवार सुबह नवाडीह ले जाया जायेगा. वहां अंतिम संस्कार होगा. इससे पूर्व युवा शक्ति के सदस्य हाथ में तिरंगा लिये जयप्रकाश उरांव अमर रहें अौर वंदे मातरम का जयघोष करते चल रहे थे.
शहीद के परिवार के साथ है पूरा राज्य : द्रौपदी मुर्मू
रांची. असम रेजिमेंट में तैनात शहीद जयप्रकाश उरांव का शव गुरुवार शाम सवा चार बजे रांची एयरपोर्ट लाया गया. तिरंगे में लिपटे शहीद का पार्थिव शव 4.20 बजे पुराने टर्मिनल भवन के बाहर निकासी गेट के समीप रखा गया. सैनिक अधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी एयरपोर्ट पहुंच कर श्रद्धांजलि व सलामी दी. कहा कि यह घटना काफी दु:खद है. शोक की घड़ी में हमलोग जयप्रकाश के परिवार के साथ हैं. मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने श्रद्धांजलि दी. कहा कि शहीद के परिवार को हर संभव सरकारी मदद दी जायेगी. राज्य सरकार की अोर से 10 लाख रुपये का चेक तैयार है, जिसे शुक्रवार को बीडीअो की अोर से विधायक की उपस्थिति में परिजनों को सौंपा जायेगा. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर, विधायक डाॅ जीतू चरण राम, गृह सचिव एसकेजी रहाटे, डीसी मनोज कुमार, सिटी एसपी अमन कुमार, सेना की अोर से ब्रिगेडियर शोभा शंकर, नव विहार के सीअो कर्नल विक्रम, सैनिक कल्याण निदेशालय के निदेशक बाल गोविंद पाठक के अलावा अन्य अधिकारी व जेपी के चचेरे बहनोई ए तिग्गा व परिवार के सदस्यों ने श्रद्धांजलि दी.
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