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सोचें, क्या अबुआ दिशुम, अबुआ राज है : राज्यपाल

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड आने के बाद मैं भगवान बिरसा मुंडा के गांव गयी थी. उनके गांव का हाल देखा. उनके परिजनों से मिली. वहां से आने के बाद सरकार से बात की. वहां से लौटने के बाद एक माह तक सो नहीं सकी. सोचती रही कि अपनी जल, जंगल, […]

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड आने के बाद मैं भगवान बिरसा मुंडा के गांव गयी थी. उनके गांव का हाल देखा. उनके परिजनों से मिली. वहां से आने के बाद सरकार से बात की. वहां से लौटने के बाद एक माह तक सो नहीं सकी. सोचती रही कि अपनी जल, जंगल, जमीन, परंपरा और संस्कृति पर जीवन न्योछावर करनेवालों के परिजन कैसे रह रहे हैं.
राज्य में क्या-क्या चल रहा है. अत्याचार, भ्रष्टाचार के विरुद्ध जिन्होंने लड़ाई लड़ी, वे आज संगठित नहीं हो पा रहे हैं. उनको अपनी जल, जंगल और संस्कृति की रक्षा के लिए संगठित होना होगा. उनको सोचना होगा कि क्या अबुआ दिशुम, अबुआ राज (अपना देश, अपना राज) यही है. राज्यपाल सोमवार को सेलेब्रेशन बैंक्वेट हॉल में स्टैच्यू ऑफ उलगुलान (भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा) के अनावरण के मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित कर रही थीं. राज्यपाल ने कहा कि यहां के लोगों को अपनी जल, जंगल, जमीन को सुरक्षित रखने के लिए सोचना होगा. भगवान बिरसा मुंडा की धरती को भ्रष्टाचार और अत्याचार से बचाना होगा. आज यहां के लोग डर-डर कर जी रहे हैं. डरने से कुछ भी हासिल नहीं होगा. अपने अधिकार के लिए लड़ना होगा.
प्रदेश में है असहज वातावरण
उलगुलान फाउंडेशन के संयोजक पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि भगवान बिरसा का इतिहास हम लोगों को प्रेरित करता है. वर्तमान में धरती से जुड़े लोगों के सामाजिक संस्कार और चिंतन को अक्षुण्ण रखने की लड़ाई हमें प्रेरित करती रहेगी. हमारी अस्मिता को सुरक्षित रखने के लिए हमें खुद का बलिदान देना होगा. वर्तमान समय नेतृत्व को चुनौती देता है. इस प्रदेश के विकास में झारखंड में मानसिकता की कमी दिख रही है. प्रदेश में असहज वातावरण है. विकास के जद्दोजहद में या विकास की गति में खुद को शामिल करने में दूरी दिखायी दे रही है. विचारों में अंतर दिख रहा है. झारखंड को भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनाने के प्रयास में कमी दिख रही है. यहां के लोग विकास में खुद को शामिल करना चाहते हैं, लेकिन पीछे छूट जा रहे हैं.
बुंडू में बननी है प्रतिमा
रांची-टाटा मार्ग में बुंडू सूर्य मंदिर के पास 150 फीट ऊंची भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा का निर्माण होना है. इसके लिए हरेक घर से पत्थर और सहयोग लिया जायेगा. यह काम उलगुलान फाउंडेशन के तहत होगा. पूरे एक साल तक यह कार्यक्रम चलेगा. इसके लिए जमीन राम दुर्लभ सिंह मुंडा ने दी है. फाउंडेशन ने देश की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का दावा किया है.
जन-जन तक पहुंचे धरती आबा की आवाज : सुखराम मुंडा
भगवान बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा ने कहा कि धरती आबा के विचार को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है. उनकी मशाल सारे देश में जलनी चाहिए. विधायक रामचंद्र सहिस ने कहा कि जहां शोषण चरम सीमा पर होता है, वहीं उलगुलान होता है. विधायक विकास मुंडा ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी आज भी प्रेरित करती है. पद्मश्री सिमोन उरांव ने कहा कि एक साथ रहने से ही समाज का विकास होगा. ऐसा नहीं होने से विकास का काम अधूरा रह जायेगा. पद्मश्री मुकुंद नायक ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने देश की माटी की अस्मिता बचाने के लिए जान दी थी. आज भी उनका उलगुलान प्रसांगिक है. अतिथियों का स्वागत संजय बसु मल्लिक तथा संचालन डॉ अजय मलकानी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ देवशरण भगत ने किया. मंच पर डोमन सिंह मुंडा, प्रो अमिता मुंडा, बीके चांद, प्रतिमा के लिए जमीन देनेवाले राम दुर्लभ सिंह मुंडा भी मौजूद थे.

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