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एंटीबायोटिक को जादू की छड़ी न समझें चिकित्सक : डॉ मुखर्जी

रांची : संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ दीपनारायण मुखर्जी ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है. इसमें डॉक्टरों की भूमिका भी कम नहीं है. डॉक्टर व मरीज दोनों एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग में सहभागी हैं. ये एंटीबायोटिक को मैजिक बुलेट की तरह समझते हैं. नतीजा यह हो रहा है कि ये दवाएं रेसिस्टेंट […]

रांची : संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ दीपनारायण मुखर्जी ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है. इसमें डॉक्टरों की भूमिका भी कम नहीं है. डॉक्टर व मरीज दोनों एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग में सहभागी हैं. ये एंटीबायोटिक को मैजिक बुलेट की तरह समझते हैं. नतीजा यह हो रहा है कि ये दवाएं रेसिस्टेंट (बेअसर) हो रही हैं. मरीजों पर दवाओं का असर नहीं हो रहा है. जान का खतरा रहता है. एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही किया जाये, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. डॉ मुखर्जी रविवार को रांची क्रिटिकल केयर सोसाइटी द्वारा आयोजित नौवें एनुअल इस्ट जोन क्रिटिकल केयर कॉन्फ्रेंस के समापन मौके पर बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि विदेशों में एंटीबायोटिक के दुरुपयोग में काफी कमी आयी है, क्योंकि वहां सख्त कानून है. डॉक्टर व दवा दुकानों पर आसानी से दवाएं नहीं मिल सकती हैं. डॉक्टर काफी सोच-समझ कर एंटीबायोटिक लिखते हैं. दुरुपयोग नहीं हो, इसके लिए टास्क फोर्स बनी है, जो निगरानी रखती है. हालांकि भारत में इसके लिए कोई कानून नहीं है. एंटीबायोटिक का धड़ल्ले से प्रयोग होता है. हल्के पेट दर्द व सर्दी-बुखार में डॉक्टर एंटीबायोटिक लिख देते हैं. कई बार वायरल इंफेक्शन से कुछ सामान्य बीमारियां हो जाती हैं, जो सामान्य दवाओं से ठीक हो सकती हैं, लेकिन अनावश्यक एंटीबायोटिक लिख दिया जाता है. कार्यक्रम में बीएचयू से आये डाॅ डीके सिंह, प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा, डॉ सुदीप राय एवं डॉ स्वागता त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ विजय मिश्रा ने दिया.
बीमारी के बजाय आइसीयू के संक्रमण से मर जाते हैं मरीज
क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ सुभाष तोदी ने कहा कि मरीज अपनी बीमारी के बजाय आइसीयू में भर्ती अन्य मरीजों के संक्रमण से ज्यादा प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि हर दो मरीज में एक की मौत आइसीयू में भर्ती अन्य मरीजों के संक्रमण से हो जाती है. एंटीबायाेटिक का दुरुपयोग नहीं हो, इसके लिए निगरानी कमेटी होनी चाहिए. प्रत्येक अस्पताल में एक कमेटी होनी चाहिए, जो एंटीबायोटिक लिखने से पहले हर पहलू पर समीक्षा करे, तब मरीज को दवा परामर्श की जाये. काैन डॉक्टर एंटीबायोटिक लिखेगा, यह भी निर्धारित होना चाहिए. सख्त कानून होने से डॉक्टर लिखने से, दवा दुकानदार बेचने से एवं मरीज खरीदने बचेगा. डॉ तोदी ने कहा कि आइसीयू में मरीजों को संक्रमण से बचने के लिए मानकों का पूरा ख्याल रखना चाहिए. दूरी होने से मरीजों के संक्रमित होने की संभावना थोड़ी कम होगी.
सफल रहा आयोजन
आयोजन कमेटी के चेयरमैन डॉ नसीम अख्तर एवं सचिव डॉ विजय मिश्रा ने कहा कि आयोजन पूरी तरह सफल रहा. डाॅक्टरों को नयी-नयी जानकारी मिली. उम्मीद है कि नयी जानकारियों से मरीजों को फायदा मिलेगा. इसे सफल बनाने में डॉ मोहिब अहमद, डॉ कुमकुम श्रीवास्तव, डॉ प्रतीक, कोषाध्यक्ष डॉ राश कुजूर, डॉ तापस साहू, डॉ राहूल, डॉ मंजूला सिन्हा, डॉ डीएनएस राव, डॉ आशिफ नदीम खान, डॉ राजेश, डॉ दिनेश एवं डॉ हृषिकेश झा आदि का सहयोग रहा.

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