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मेडिकल कॉलेजों के बजाय जिलों में बना दिया बर्न यूनिट

रांची: स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेजों के बजाय चार जिलों को छोड़ सभी जिला अस्पतालों में भी बर्न यूनिट बना दिया है. जिन पर करीब 30 करोड़ रुपये खर्च हुए या होंगे, जबकि इनके संचालन के लिए न तो मैनपावर है अौर न ही उपकरण. पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह में काम शुरू नहीं हुआ […]

रांची: स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेजों के बजाय चार जिलों को छोड़ सभी जिला अस्पतालों में भी बर्न यूनिट बना दिया है. जिन पर करीब 30 करोड़ रुपये खर्च हुए या होंगे, जबकि इनके संचालन के लिए न तो मैनपावर है अौर न ही उपकरण. पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह में काम शुरू नहीं हुआ है. तत्कालीन मंत्री राजेंद्र सिंह तथा सचिव बीके त्रिपाठी के कार्यकाल में सभी यूनिट पर काम शुरू हुआ था. विभाग के इंजीनियरिंग विंग के द्वारा ताबड़तोड़ शुरू किये गये इस काम के बाद ज्यादातर बर्न यूनिट का काम पूरा हो गया है. सिमडेगा, गढ़वा, दुमका, साहेबगंज व पाकुड़ के यूनिट को हैंडअोवर कर दिया गया है तथा शेष को हैंडअोवर करने की प्रक्रिया चल रही है.
केंद्र सरकार ने क्या दिया था निर्देश
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अपनी गाइड लाइन में पहले मेडिकल कॉलेजों में ही बर्न यूनिट बनाने का निर्देश दिया था. जिला अस्पतालों के लिए एनआरएचएम के तहत बाद में गाइडलाइन जारी होने की बात थी. पर झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दो मेडिकल कॉलेजों (एमजीएम व पीएमसीएच) के अतिरिक्त जिलों में भी बर्न यूनिट बना दिये. रांची के रिम्स में बर्न यूनिट पहले से है. उसे अपग्रेड किया जाना है. पर इसके बजाय सदर अस्पताल में करीब 50 फीट गुना 30 फीट का नया बर्न यूनिट बना दिया गया. बर्न यूनिट बनाने में यूनिट के क्षेत्रफल, बेड व अन्य सुविधाअों संबंधी नॉर्म्स का पालन नहीं हुआ है. सभी यूनिटों को 1.35 करोड़ रु प्रति यूनिट की दर से बनाया गया है.
ठेकेदारों ने
खरीदा उपकरण
इधर कुछ जिलों में अस्पताल का निर्माण करने वाले ठेकेदारों ने ही बर्न यूनिट के लिए उपकरण भी खरीदा है. कहां-कहां उपकरण पहुंच गये हैं, इसकी जानकारी नहीं है. तत्कालीन सचिव बीके त्रिपाठी के बाद जब के विद्यासागर फिर से स्वास्थ्य सचिव बने तथा जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के एमडी, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य तथा इंजीनियरिंग विंग के मुख्य अभियंता को एक बफशीट (16 मार्च 2016) लिखी थी. इसमें कहा गया था कि बर्न यूनिट व ब्लड बैंक के लिए उपकरण खरीदना विशेषज्ञता का मामला है. इस खरीद में मशीनों व उपकरणों की क्वालिटी व स्टैंडर्ड के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. यह काम सिविल कार्य कराने वाले ठेकेदार के बूते के बाहर है. इसलिए इन उपकरणों की खरीद विभाग के खरीद व निर्माण निगम (प्रोक्योरमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन) से ही होनी चाहिए.
जहां था, वहां भी बना दिया ब्लड बैंक
बर्न यूनिट की तरह ब्लड बैंक निर्माण व इनके उपकरणों की खरीद में भी गड़बड़ी हुई है. विभाग ने राज्य के उन आठ जिलों में ब्लड बैंक बनाने की योजना बनायी थी, जहां बैंक नहीं थे. इनमें रांची, जमशेदपुर, जामताड़ा, सरायकेला, गोड्डा, खूंटी, रामगढ़ व बोकारो जिले शामिल थे. पर विभाग के इंजीनियरिंग सेल ने खूंटी, रामगढ़ व बोकारो को छोड़ गुमला, लोहरदगा व चाईबासा में औसतन 60-60 लाख रुपये की लागत से ब्लड बैंक का भवन बना दिया. जबकि यहां पहले से ब्लड बैंक कार्यरत हैं. यही नहीं, टेंडर फाइनल होने से पहले ही नवनिर्मित ब्लड बैंक के लिए उपकरणों की आपूर्ति कर दी गयी. टेंडर प्रक्रिया के बीच में ही एक फर्म ने गुमला, लोहरदगा व रांची में बैंक से संबंधित उपकरणों की आपूर्ति बगैर स्पेसिफिकेशन तय हुए दोगुनी कीमत पर कर दिया था. केंद्र सरकार की तय दर पर एक बैंक के लिए विभिन्न उपकरणों पर करीब 55 लाख रुपये खर्च होते हैं. पर गुमला में 1.17 करोड़ की लागत से उपकरणों की आपूर्ति की गयी. लोहरदगा व रांची सहित कुछ अन्य जिलों में भी इसी दर पर आपूर्ति हुई है. पूर्व स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी के कार्यकाल में ही उपकरणों की आपूर्ति के लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी.
यहां बने बर्न यूनिट
जिला अस्पताल : रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, गढ़वा, लातेहार, दुमका, साहेबगंज, देवघर, पाकुड़, जामताड़ा, बोकारो, धनबाद, चतरा, कोडरमा, रामगढ़, प.सिंहभूम, पू.सिंहभूम, सरायकेला व खरसांवा.
यहां बनने हैं : पलामू, गोड्डा, हजारीबाग व गिरिडीह
मेडिकल कॉलेज : एमजीएम जमशेदपुर तथा पीएमसीएच धनबाद.

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