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झारखंड व बिहार सहित कई राज्यों में मनरेगा भुगतान लंबित

झारखंड में एक महीने, से तो बिहार में तीन अक्तूबर से मजदूरी लंबित, पांच दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है सुनवाई केंद्र व राज्य सरकारों की चूक के कारण तीन हजार करोड़ से अधिक का भुगतान लंबित रांची : मनरेगा तथा मनरेगा से जुड़े मजदूरी भुगतान पर निगरानी रखने वाली संस्था नरेगा वाच के […]

झारखंड में एक महीने, से तो बिहार में तीन अक्तूबर से मजदूरी लंबित, पांच दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है सुनवाई
केंद्र व राज्य सरकारों की चूक के कारण तीन हजार करोड़ से अधिक का भुगतान लंबित
रांची : मनरेगा तथा मनरेगा से जुड़े मजदूरी भुगतान पर निगरानी रखने वाली संस्था नरेगा वाच के अनुसार झारखंड व बिहार सहित देश के 19 राज्यों में मनरेगा का मजदूरी भुगतान रुका हुआ है. झारखंड में पिछले एक महीने से किसी को मजदूरी नहीं मिली है. वहीं बिहार में तीन अक्तूबर से ही मनरेगा मजदूरी लंबित है.
मनरेगा कार्यक्रम के लिए आवंटित राशि की कमी (यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है) सहित केंद्र व राज्य सरकारों की प्रशासनिक चूक के कारण तीन हजार करोड़ से अधिक का भुगतान लंबित है. जबकि इन सभी भुगतान के लिए फंड ट्रांसफर अॉर्डर (एफटीअो) अनुमोदित कर दिया गया है. यानी ये भुगतान केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित है.
क्याें ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई
नरेगा वाच के अनुसार इससे ग्रामीण विकास मंत्रालय की मजदूरी के ससमय भुगतान की बात झूठ साबित होती है. वहीं मजदूरों को भुगतान में हो रही इस देरी के लिए देय कानूनी मुआवज़ा की न तो गणना हो रही है और न ही उसका भुगतान हो रहा है.
गौरतलब है कि लंबित भुगतान के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी की है. लंबित मजदूरी की ऐसी स्थिति पहली बार उत्पन्न नहीं हुई है. मार्च-अप्रैल 2017 में लगभग 20 दिनों तक सभी एफटीअो केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित थे.
इसी तरह मई 2017 में लगभग 80 फीसदी एफटीअो लटका था. वर्तमान में नौ राज्यों में आवंटित राशि से अधिक खर्च हो चुका है. वहीं केंद्र सरकार इस वर्ष के कुल बजट का करीब 87 फीसदी खर्च कर चुकी है. मॉनसून के बाद अब काम की मांग में वृद्धि होगी तथा इसके लिए मजदूरी की राशि अौर कम पड़ेगी. गौरतलब है कि पांच दिसंबर 2017 को इस मुद्दे की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के रूप में होनी है.
नरेगा संघर्ष मोर्चा की मांग
1. केंद्र सरकार द्वारा काम की मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त राशि का आवंटन तुरंत किया जाये.
2. सभी एफटीअो का तुरंत भुगतान किया जाये.
3.भुगतान में हो रहे देरी की गणना मजदूरों के खाते में मजदूरी जमा होने तक की जाये.
4. खाते में मजदूरी जमा होने में हुए कुल विलंब के अनुसार मुआवजे की गणना व इसका भुगतान हो.
5. मुआवजे की राशि खारिज करने का विवेकाधिकार किसी भी कर्मी अथवा पदाधिकारी को नहीं होना चाहिए

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