इसी बीच पता चला कि कुछ भवन राज्य गठन के बाद दशक भर पहले ही बनाये गये हैं. इसी के बाद असमंजस वाले 51 प्रखंड भवनों के निर्माण पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. उधर दुमका के जरमुंडी प्रखंड भवन के निर्माण का मामला भी अभी उपायुक्त स्तर पर लंबित है. जबकि विभाग उपायुक्त को वहां उपलब्ध अविवादित जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने के लिए बार-बार कह रहा है.
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ग्रामीण विकास विभाग ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों से मांगी है रिपोर्ट, डीसी बतायेंगे कि प्रखंड में भवन बनेगा या नहीं
रांची: राज्य के कई नये प्रखंड सहित पुराने 212 प्रखंड कार्यालयों के भवन निर्माण के पैसे जारी हो गये हैं. कुल 51 प्रखंड भवनों की स्थिति संबंधी रिपोर्ट मिलने के बाद उन्हें बनाने या न बनाने संबंधी निर्णय होगा. ग्रामीण विकास विभाग ने यह रिपोर्ट संबंधित जिलों के उपायुक्तों से मांगी है. विभाग को सूचना […]
रांची: राज्य के कई नये प्रखंड सहित पुराने 212 प्रखंड कार्यालयों के भवन निर्माण के पैसे जारी हो गये हैं. कुल 51 प्रखंड भवनों की स्थिति संबंधी रिपोर्ट मिलने के बाद उन्हें बनाने या न बनाने संबंधी निर्णय होगा. ग्रामीण विकास विभाग ने यह रिपोर्ट संबंधित जिलों के उपायुक्तों से मांगी है. विभाग को सूचना मिली थी कि कुल 51 में से 16 प्रखंडों के भवनों का निर्माण गत 10-12 वर्ष पहले किया गया था. उपायुक्तों की रिपोर्ट में यदि इन प्रखंडों में नया भवन होने तथा इसके अभी बेहतर होने संबंधी रिपोर्ट मिलेगी, तो इनका निर्माण फिर से नहीं होगा.
1955-56 के दौरान बने ज्यादातर भवन
दरअसल, ग्रामीण विकास विभाग ने राज्य के सभी 263 प्रखंड भवनों के निर्माण का निर्णय लिया है. इनमें से ज्यादातर प्रखंड भवन (तब 212 प्रखंड ही थे) तत्कालीन बिहार में वर्ष 1955-56 के दौरान बने हुए हैं. पुराने हो चुके इन भवनों की जगह नये भवन बनाये जाने हैं. कई जगह काम शुरू भी हो चुका है. प्रति प्रखंड निर्माण लागत करीब 3.64 करोड़ रु तय की गयी है.
क्या प्रावधान किया गया है : गौरतलब है कि नये भवनों में पर्याप्त जगह व कमरों का प्रावधान किया गया है. यहां सभागार सहित बीडीअो, सीअो व प्रखंड प्रमुख से लेकर, कनीय अभियंता, विभिन्न सुपरवाइजर तथा सभी विभागीय कर्मियों के लिए अलग-अलग कमरे होंगे. बैंक को भी इसी में जगह देने की बात थी. दूसरा सुझाव प्रखंड परिसर में चाय-नाश्ता के लिए कैंटीन तथा शुल्क वाले सार्वजनिक शौचालय के निर्माण संबंधी था. ग्रामीण विकास विभाग की महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित कैंटीन व शौचालय से ग्रामीणों को बहुत सुविधा होती. वहीं एसएचजी को भी आय का स्रोत मिल जाता. तीसरा सुझाव प्रखंड परिसर के बाहरी छोर पर दुकान निर्माण से संबंधित था. इन दुकानों में जेरॉक्स व अन्य जरूरी चीजें व सुविधाएं मिलती. पर इन सुझावों पर बात अागे नहीं बढ़ी.
कई जन सुविधाअों पर निर्णय नहीं
ग्रामीण विकास विभाग में प्रखंड भवनों को ज्यादा जन सुविधा युक्त बनाने पर चर्चा हुई थी. पर इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका. विभागीय अधिकारियों की अोर से ही यह सुझाव दिया गया था कि सभी प्रखंड भवनों में किसी बैंक की एक शाखा खोलने की जगह उपलब्ध करायी जाये.
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