रांची : किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के मकसद से राष्ट्रीय कृषि बाजार (इ-नैम) योजना की शुरुआत कर दी गयी, लेकिन इसका लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है. हाल यह है कि किसानों की उपज की बिक्री के नाम पर खेल हो रहा है.
कारण है कि एक तरफ जहां इ-ट्रेडिंग के लिए तय नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ आधारभूत संरचना नहीं होने से किसान बाजार समिति में आना नहीं चाहते हैं. हैरत की बात तो यह है कि किसानों का पता भी नहीं है और अब तक 19 बाजार समितियों ने 56,30,332 रुपये का कारोबार इ-ट्रेडिंग के रूप में पोर्टल में दिखा दिया है.
केंद्र को भेजे जा रहे यही आंकड़े : खास बात यह है कि यही आंकड़े केंद्र सरकार को भेजे जा रहे हैं. इसी के आधार पर केंद्र सरकार हर बाजार समिति को 45-45 लाख रुपये राशि प्रदान करेगी.
एकाउंट खुला नहीं, कैसे दिखा रहे कारोबार
इ-नैम में इ-ट्रेडिंग के लिए हर बाजार समिति का एसक्रॉ अकाउंट होना जरूरी है. ध्यान देने योग्य बात यह है कि अब तक किसी भी बाजार समिति में यह अकाउंट खुला ही नहीं है. किसानों के किसी भी उपज की बिक्री होने पर खरीदार को पैसा एसक्रॉ अकाउंट में जमा करना है. और किसानों को पैसे का भुगतान उनके बैंक खाते में बाजार समिति के एसक्रॉ एकाउंट से ही होना है. लेकिन अकाउंट है ही नहीं. सवाल है कि बिना खाते के कैसे कारोबार दिखाया जा रहा है.
इ-ट्रेडिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा
झारखंड के विभिन्न बाजार समितियों में इ-ट्रेडिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है. मार्केटिंग बोर्ड के दबाव में इ-ट्रेडिंग दिखाने के लिए बाजार समिति के कर्मचारी व्यापारियों से पर्ची लेकर और हाट-बाजार में होने वाले खरीद-बिक्री को दिखा रहे हैं. फर्जी आंकड़े डाल कर इ-नैम पोर्टल को आॅनलाइन दिखाया जा रहा है.