रांची/कोलकाता : फर्जी डिग्री देकर 12वीं में फेल होनेवाले लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टर बनाने में मदद करनेवाले प्रज्ञान फाउंडेशन के प्रमुख सुरेश अग्रवाल को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस फाउंडेशन के झारखंड में पाव पसारने से जुड़े कुछ नये तथ्य भी सामने आये हैं. बताया जाता है कि दिसंबर, 2011 में यूजीसी ने प्रज्ञान फाउंडेशन की इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता को फर्जी घोषित कर दिया था.
झारखंड के कुछ अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से उस संस्थान की झारखंड में एंट्री करवायी. इस प्रतिबंधित संस्थान की झारखंड के कुछ अधिकारियों ने मदद की और गुपचुप तरीके से इसे रांची में पैर फैलाने में मदद की. बताया जाता है कि अधिकारियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री तक को अंधेरे में रखा.
सूत्रों की मानें, तो इन्हीं अधिकारियों ने प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी को मान्यता दिलाने के लिए गुपचुप तरीके से प्रक्रियाअों को पूरा करा कर विधानसभा से विधेयक पास करवाया.
इतना ही नहीं, फरवरी 2017 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2017 (मोमेंटम झारखंड) में सरकार अौर प्रज्ञान यूनिवर्सिटी के बीच 225 करोड़ का एमअोयू भी करवा दिया. एमअोयू पर प्रज्ञान फाउंडेशन के ट्रस्टी सुरेश कुमार अग्रवाल अौर राज्य सरकार के उच्च तकनीक विभाग के निदेशक मीणा ठाकुर के हस्ताक्षर हैं.
खबर है कि एक राजनेता और उद्योग विभाग के एक अधिकारी के दबाव में यह पूरा गैरकानूनी काम हुआ. उसी राजनेता और अधिकारी ने शैक्षणिक मामले को औद्योगिक निवेश के तौर पर दिखाने के बहाने एमओयू करा कर मुख्यमंत्री को गुमराह किया. उसी राजनेता और अधिकारी ने उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर दबाव डाल कर सारा काम कराया.