ई कोर्ट प्रोजेक्ट के तहत न्यायालयों के काम में तकनीक के उपयोग को बढ़ाया जाना है. इनमें से कुछ काम शुरू हो गये हैं अौर कुछ काम भविष्य में होंगे. इससे न्यायालय का काम आसान होगा अौर मामलों के निष्पादन में भी गति आयेगी. न्यायिक कार्यों में किये जाने वाले कामों में कंप्यूटर, मोबाइल, वीडियो कांफ्रेंसिंग का इस्तेमाल बढ़ जायेगा. इससे न्यायाधीशों, अधिवक्ताअों अौर मुव्वकिलों को काफी फायदा होगा.
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ई कोर्ट प्रोजेक्ट : तकनीक पर जोर
रांची: सिविल कोर्ट रांची में कुछ वर्ष पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग की शुरुआत की गयी थी. इसके तहत कई मामलों में कैदियों की पेशी अौर सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अॉनलाइन भी की जा रही है. गत तीन अगस्त को झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने सिविल कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में […]
रांची: सिविल कोर्ट रांची में कुछ वर्ष पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग की शुरुआत की गयी थी. इसके तहत कई मामलों में कैदियों की पेशी अौर सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अॉनलाइन भी की जा रही है. गत तीन अगस्त को झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने सिविल कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि तकनीक के इस्तेमाल पर हमलोग ध्यान दे रहे हैं अौर भविष्य में ज्यादातर कोर्ट रूम में भी वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था की जायेगी. यह सब ई कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
वीडियो कांफ्रेंसिंग : फिलहाल सिविल कोर्ट में दो वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम हैं. इनमें एक प्रधान न्यायायुक्त के कोर्ट में है. एक अन्य वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम का इस्तेमाल बाकी कोर्ट के लिए किया जाता है. वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट रूम को जेल से भी जोड़ा गया है. इससे कैदियों को कोर्ट लाने की जरूरत नहीं पड़ती. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कैदियों की पेशी की जा रही है. कैदियों को लाने और ले जाने में लगने वाला समय अौर खर्च बचता है. खतरनाक तथा महत्वपूर्ण कैदियों की वजह से होनेवाले सुरक्षा संबंधी खतरे भी कम होते हैं. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्य के अन्य कोर्ट अौर जेलों से भी संपर्क हो जाता है. इसके अलावा कांफ्रेंस और सेमिनार में भी इनका खूब इस्तेमाल हो रहा है.
वेब काउंटर : नये वेब काउंटर का उदघाटन तीन अगस्त को हुआ था. इसका इस्तेमाल इन दिनों खूब हो रहा है. इसके जरिये किसी भी केस से संबंधित आर्डर अौर जजमेंट की कॉपी उपलब्ध करायी जा रही है. इसके लिए अदालतों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते. तीन रुपये प्रति पेज की दर पर आर्डर अौर जजमेंट उपलब्ध है.
कियोस्क : सिविल कोर्ट परिसर में एक कियोस्क भी लगाया गया है. यहां पर कोई भी व्यक्ति खुद स्क्रीन पर अपने वाद से संबंधित स्टेटस, डेट, आर्डर, जजमेंट आदि की जानकारी प्राप्त कर सकता है.
एसएमएस सर्विस : मोबाइल पर एसएमएस सर्विस भी जल्द उपलब्ध होगी. इससे जो मुव्वकिल या अधिवक्ता कोर्ट नहीं आ सकेंगे, वे एसएमएस के जरिये केस की अद्यतन स्थिति, अगली तारीख की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.
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