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झारखंड विधानसभा: धर्म स्वतंत्र बिल सदन से पास, जबरन धर्मांतरण कराने पर चार साल की सजा

रांची : झारखंड विधानसभा ने शनिवार को झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 और भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखंड संशोधन) विधेयक-2017 पास कर दिया. विपक्ष ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. हालांकि सदन ने ध्वनि मत से झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 बिल को प्रवर […]

रांची : झारखंड विधानसभा ने शनिवार को झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 और भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखंड संशोधन) विधेयक-2017 पास कर दिया. विपक्ष ने दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया.

हालांकि सदन ने ध्वनि मत से झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 बिल को प्रवर समिति में भेजने के विपक्ष के आग्रह को अस्वीकार कर दिया. इसके बाद झामुमाे के विधायकों ने सदन कर बहिष्कार कर दिया. झामुमो विधायकों के बहिष्कार के बीच सदन ने भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन संबंधी विधेयक को भी प्रवर समिति में भेजने की विपक्ष की मांग को अस्वीकार कर दिया.

धर्मांतरण संज्ञेय अपराध : विधानसभा में पेश झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने को संज्ञेय अपराध माना गया है. ऐसा करनेवाले के खिलाफ 50 हजार रुपये का दंड और तीन साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. विधेयक में लालच शब्द को नकद, कोई उपहार या सामग्री, आर्थिक लाभ आदि के रूप में परिभाषित किया गया है. जबरन शब्द को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाने के लिए धमकी देना, सामाजिक बहिष्कार के रूप में परिभाषित किया गया है. विधेयक में एसटी-एससी के मामले में सजा की अवधि बढ़ा कर चार साल और दंड की रकम एक लाख रुपये की गयी है. यही नहीं, किसी भी व्यक्ति या पुरोहित को धर्मांतरण के लिए समारोह आयोजित करने से पहले उपायुक्त से अनुमति लेनी होगी. ऐसा नहीं करने पर एक साल के लिए जेल और पांच हजार रुपये के दंड का प्रावधान किया गया है. स्वेच्छा से धर्मांतरण करने से पहले भी इसकी जानकारी उपायुक्त को देनी होगी. जबरन धर्मांतरण से संबंधित किसी भी मामले की जांच इंसपेक्टर रैंक के नीचे के अधिकारी नहीं करेंगे. मुकदमा चलाने के लिए उपायुक्त या उपायुक्त द्वारा अधिकृत अधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होगी.

भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखंड संशोधन) विधेयक-2017 विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजनाअों, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग, गरीबों के आवास के लिए भू-अर्जन में सोशल इंपैक्ट स्टडी नहीं होगी

अनुसूचित क्षेत्रों में भू -अर्जन पेसा कानून के तहत किया जायेगा

भूमि अर्जन संबंधी बिल समय की जरूरत है. सोशल एसेसमेंट में समय लगता था. इस कारण बिल सदन में लाना पड़ा. इसमें जनहित के कार्यों का जिक्र किया गया है. इसमें ग्राम सभाओं को भी शक्ति दी गयी है.

– विरंची नारायण, भाजपा

धर्म स्वतंत्र विधेयक राज्य गठन के समय ही अाना चाहिए था. राज्य में लालच, पैसा और डरा-धमका कर धर्म परिवर्तन के कई उदाहरण हैं. राज्य में 2001 में क्रिश्चियन समुदाय की संख्या 1093383 थी. 2011 में बढ़कर 14 लाख 18 हजार 608 हो गयी.

– राधाकृष्ण किशोर, भाजपा

भूमि अर्जन संबंधी बिल में जो प्रावधान किये गये हैं, वह सीएनटी-एसपीटी से मिलते-जुलते हैं. धर्म स्वतंत्र विधेयक पर चर्चा होनी चाहिए. यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ साजिश है. मदर टेरेसा ने इस देश में सेवा की. उन्हें पुरस्कार भी मिला.

– हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष

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