पंकज कुमार पाठक, अमलेश नंदन सिन्हा
रांची : विपक्षी दलों के विरोध के बीच झारखंड विधानसभा ने ‘झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017’ को पास कर दिया.अब किसी का जबरन धर्मांतरण कराने पर 4 साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. विधानसभा से बिल पास होने के बाद विरोधी दलों ने विधानसभा के बाहर इसका विरोध शुरू कर दिया. वहीं केंद्रीय सरना समिति ने अल्बर्ट एक्का चौक पर इसका जश्न मनाया.
झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन शनिवार को सरकार ने धर्मांतरण रोकनेवाले बिल को पेश किया. नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन समेत उनकी पार्टी के सभी नेताअों और कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया. झामुमो सुप्रीमो हेमंत सोरेन ने सरकार के धर्म स्वतंत्र विधेयक पर जोरदार हमला किया. उन्होंने कहा, ‘विधेयक लाने से पहले जो प्रचार किया गया, वह गलत है. इस देश में मदर टेरेसा भी थीं. मैं भी मिशन स्कूल से पढ़ा हूं. मैंने धर्म परिवर्तन क्यों नहीं किया.’
इससे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता स्टीफन मरांडी कहा कि इस बिल को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहाकियह बिल मौलिक अधिकारों का हनन है. किसी भी व्यक्ति को अपना धर्म मानने का अधिकार है.सरकार यह बिल लाकर लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है. स्टीफन मरांडी ने सरकार से पूछा कि सरकार बताना चाहिए कि अब तक राज्य में धर्मांतरण के कितने मामले सामने आये हैं. आइपीसी के तहत कितने केस अब तक दर्ज हुए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के बिल ‘धर्म स्वतंत्र विधेयक’का नाम ही गलत है. इसका नाम ‘धर्म परिवर्तन विरोधी कानून’ होना चाहिए.
इसे भी पढ़ें : धर्मांतरण के खिलाफ आजाद भारत का सबसे बड़ा अभियान, गरमा सकती है प्रदेश की राजनीति
साइमन मरांडी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) कीधारा 294ए में जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान है. सरकार जो कानून लेकर आयी है, उसमें धर्म परिवर्तन के लिए प्रशासन से इजाजत लेने की बात कही गयी है, जो गलत है. उन्होंने कहा कि यह बेहद संवेदनशील मामला है. इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाये.
भारतीय जनता पार्टी के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने बहस में भाग लेते हुए कहा, ‘इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है. यह पहले ही आ जाना चाहिए था. इसमें डेढ़ दशक से अधिक की देरी हो चुकी है. लेकिन, सरकार विधेयक लाने के लिए बधाई की पात्र है. उन्होंने कहा कि विधेयक में हर चीज की बारीकी से व्याख्या की गयी है.इसी तरह से कानून का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
श्री किशोर ने कहा कि किसी को अनाज देकर, रोटी देकर आप उसका धर्म नहीं बदल सकते. हिंदू धर्म की भी बात कर लीजिए,तो बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा विवाह की प्रथा थी, उसे बदला गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में 10,90,283क्रिश्चियन थे. आज उनकी संख्या 14,18,783हो गयी है. यह 30 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है. सबसे ज्यादा धर्मांतरण झारखंड में हुआ है. क्या चाहते हैं कि लोग मूकदर्शक बनेरहें. राज्य के दलितों का और गरीबों का धर्म परिवर्तन हो रहा है. ऐसी जगहों पर पहुंच कर उन्हें भड़काया जाता है, उन्हें अनाजकेनाम पर, शिक्षा देने के नाम पर धर्म बदलने को मजबूर किया जाता है.
राधाकृष्णकिशोर ने कहा, ‘कई जगहों पर पैसे देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है. कई जगहों पर दलित के बच्चे का नाम स्कूल से काट दिया जाता है. इसके बाद उसकी मां पर दबाव बनाया जाता है कि तुम इसाई धर्म अपनाओ. यह गलत है.
भानुप्रताप शाही ने कहा कि हर धर्म के लोगों की अपनी आस्था है. यह बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? ओड़िशा, मध्यप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में यह कानून बना. सनातन धर्म सिकुड़ रह है, इसे बचाने की जरूरत है. यह सारे धर्मों की रक्षा के लिए है. ऐसे बिल का सारे लोगों को समर्थन करना चाहिए.
इसे भी पढ़ें : धर्मांतरण निषेध कानून देशभर में लागू किया जाये : सरना समिति
भाजपा विधायक शिवशंकर उरांव ने विधेयक का समर्थन किया. कहा कि सनातनधर्मी को प्रकृति धर्मी भी कहते हैं. सभी धर्मों का मूल सनातन धर्म है. इसे अगर बचाना है, तो पूजा-पाठ का सनातन तरीका अपनाना होगा. कोई धर्म बदलने के लिए जबरन आकर्षित करने की कोशिश करे, यह गलत है. उन्होंने कहा कि गांव में जाकर लोगों को प्रलोभन दिया जाता है. इस बिल को पास करना जरूरी है. आनेवाले दिनों में यह बिल लोगों का मनोबल बढ़ायेगा. कोई धर्मांतरण करानेवालों के झांसे में नहीं आयेगा.
स्टीफन मरांडी ने संविधान का हवाला देते हुए अपने विचार रखे. बिल का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि पलामू में दबाव बना कर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया. उन्होंने कहा कि सबको अपना प्रचार करने का अधिकार है, लेकिन जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का किसी को कोई अधिकार नहीं है.
साइमन मरांडी ने कहा, ‘हमलोग असमंजस में हैं. कौन-सा धर्म सही है. यहां सबकी दो इंच तो चार इंच कि बुद्धि है. लोग समझते हैं बोका है. सब बोका है. आइपीसी में धर्म परिवर्तन को लेकर नियम पहले से मौजूद है. अब इस कानून की जरूरत क्यों आन पड़ी? कहां पहाड़ टूट गया. अखबार में देखा ईसाई के बारे में चर्चा है. कोई और धर्म की चर्चा क्यों नहीं? यह बिल पास हो जायेगा. ठीक है. लेकिन ये चलनेवाला नहीं है. रगड़ा मत बढ़ाइये. सीपी सिंह बीच-बीच में देख कर मुस्कुराते हैं, लग रहा है कि ललकार रहे हैं.’
इसे भी पढ़ें : धर्मांतरण निषेध बिल शीघ्र पारित हो : मेघा उरांव
साइमन ने आगे कहा कि राजनीति करनेवाले जिलेबी से भी ज्यादा खतरनाक हैं. उन्होंने कहा कि धर्म को अपनी जगह रहने दीजिए. बाद में जब आप हार कर आयेंगे, तो लोग कहेंगे कि इन्हीं के समय में तोड़फोड़ हुआ. मुख्यमंत्री जी, दया कीजिए. गरीबों पर ध्यान दीजिए. हम दलितों के साथ क्या-क्या होता है, आप क्या जानें. हम जहां हैं, वहीं रहने दीजिए. गलत बात मत कीजिए, पेट फट जायेगा.
राम कुमार पाहन ने सरकार को बिल लाने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि संविधान में धर्म मानने का अधिकार है, मानता हूं. लेकिन जबरन, लालच देकर लोगों को बरगलाया जा रहा है. यह साजिश है. पहली बार सरकार इसे रोकने का प्रयास कर रही है. कार्तिक उरांव ने भी अपनी बात रखी.
पौलुस सुरीन ने कहा कि सरकार सिर्फ एक धर्म को टार्गेट कर रही है. जो भी आरोप लग रहे हैं, गलत हैं. हिंदुओं के धार्मिक स्थल को बढ़ावा दिया जा रहा है. सुविधाएं भी मिल रही हैं. यह भी तो लालच है.
कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि इस कानून की कोई जरूरत नहीं है. कहा, ‘हमें विकास करना है. मिल कर काम करना है. खाने के नाम पर लोगों को मारा जा रहा है, यह गलत है. ऐसा बिल मत लाइये. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबको लड़वाओ भाजपाई.’