अदालत ने माैखिक रूप से कहा कि जांच रिपोर्ट को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि इस बहाली में योग्य उम्मीदवारों को वंचित कर अयोग्य उम्मीदवारों का भी चयन किया गया है. फिट अभ्यर्थियों को सरकार नियुक्त करे. साथ ही संबंधित मेडिकल बोर्ड के सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज करें.
अदालत के कड़े रुख को देखते हुए अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कोई आदेश दिये बिना सरकार को एक अवसर देने की प्रार्थना की. उन्होंने बताया कि इसी तरह के एक मामले में अदालत ने सरकार को एक समिति का गठन कर अनफिट घोषित अभ्यर्थियों की दोबारा मेडिकल जांच करने का आदेश दिया है. इस पर अदालत ने अपर महाधिवक्ता के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तिथि निर्धारित की.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मिथुन कुमार व अन्य की अोर से याचिका दायर की गयी है. प्रार्थियों ने कहा है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आरक्षी बहाली के लिए प्रारंभिक परीक्षा व मुख्य परीक्षा ली गयी थी, जिसमें वे सफल रहे. इसके बाद शारीरिक व मेडिकल जांच की गयी, लेकिन रिजल्ट जारी नहीं किया गया. पता करने पर बताया गया कि मेडिकल जांच में बोर्ड ने अनफिट किया है. बाद में रिम्स व सरकारी अस्पतालों में अभ्यर्थियों ने मेडिकल जांच करायी थी, जिसमें उन्हें फिट घोषित किया गया था. इसका प्रमाण पत्र भी अदालत में प्रस्तुत किया गया.
सात जुलाई को अदालत ने प्रार्थियों की मेडिकल जांच सीआरपीएफ के मेडिकल बोर्ड से कराने के बाद जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दाैरान जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गयी, जिसमें 36 में से 30 अभ्यर्थियों को मेडिकली फिट घोषित किया गया है.