रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड बनने के 14 वर्षों तक स्थानीय नीति को लेकर राजनीति हुई है. इसके नाम पर उलझा कर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया. हमारी सरकार ने स्थानीय नीति को परिभाषित किया है. इसके बाद सभी विभागों में रिक्त पदों पर भरती करने का निर्देश दिया गया. इसी का नतीजा है कि पिछले ढाई साल में एक लाख से अधिक पदों पर नियुक्ति की गयी. इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक लोग स्थानीय हैं.
श्री दास ने कहा कि स्थानीय नीति घोषित होने के बाद कुछ लोग भ्रम फैला रहे थे कि इससे बाहरी लोगों को नियुक्ति की जायेगी, लेकिन अब उनका भ्रम टूट गया है. श्री दास गुरुवार को डोरंडा स्थित वन विभाग के पलाश सभागार में रांची जिले के नवनियुक्त वनरक्षियों के नियुक्ति प्रमाण पत्र वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह में 157 वनरक्षियों को नियुक्ति पत्र दिया गया. इनमें 17 महिलाएं हैं. सरकार की ओर से 35 साल बाद 2188 वनरक्षियों की नियुक्ति की गयी है. इनमें 148 महिलाएं हैं. अन्य जिलों के वनरक्षियों के बीच नियुक्ति पत्र का वितरण प्रभारी मंत्री करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस विभाग में भी 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए निर्धारित किया गया है. इस मौके पर पीसीसीएफ आरआर हेंब्रम, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ एलआर सिंह समेत वन विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे.
महिलाओं के सम्मान को लेकर हुआ नियुक्ति नियमावली में संशोधन : इस मौके पर अपर मुख्य सचिव अमित खरे ने कहा कि महिलाओं को सम्मान देने के लिए नियुक्ति नियमावली में संशोधन किया गया है. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव इंदुशेखर चतुर्वेदी ने कहा कि झारखंड में पहली बार वनरक्षियों की नियुक्ति हुई है.
जंगलों की अवैध कटाई पर रोक लगायें
सीएम श्री दास ने कहा कि वनों की रक्षा के लिए लिए वनरक्षियों की नियुक्ति जरूरी है. वनों का महत्व अध्यात्म से लेकर आजीविका तक है. ऐसे में वनरक्षियों का दायित्व बनता है कि जंगलों की अवैध कटाई पर रोक लगायें.
हर गांवों में बनायें महिला ग्राम वन रक्षा समिति
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक गांव में महिला ग्राम वन रक्षा समिति बनायी जाये. झारखंड में हमें वन आच्छादित क्षेत्र के 33 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करना है. सरकार ने पूरे राज्य में दो करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है.