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हर घंटे 400 टन कोल क्रशिंग
प्रतिदिन दो रैक होगा डिस्पैच, पावर स्टेशनों को भेजा जायेगा 100 एमएम का कोयला उरीमारी : बरका-सयाल प्रक्षेत्र उरीमारी परियोजना अंतर्गत बहुप्रतीक्षित सौंदा बी साइडिंग का कोल मोबाइल क्रशिंग मशीन (इंपैक्ट क्रशर) का उदघाटन सोमवार को प्रक्षेत्र के जीएम प्रकाश चंदा ने विधिवत रूप से किया. 1.45 करोड़ की लागत से बैठाये गये इस मोबाइल […]
प्रतिदिन दो रैक होगा डिस्पैच, पावर स्टेशनों को भेजा जायेगा 100 एमएम का कोयला
उरीमारी : बरका-सयाल प्रक्षेत्र उरीमारी परियोजना अंतर्गत बहुप्रतीक्षित सौंदा बी साइडिंग का कोल मोबाइल क्रशिंग मशीन (इंपैक्ट क्रशर) का उदघाटन सोमवार को प्रक्षेत्र के जीएम प्रकाश चंदा ने विधिवत रूप से किया. 1.45 करोड़ की लागत से बैठाये गये इस मोबाइल क्रशिंग मशीन को यहां पर शशि स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड पुणे महाराष्ट्र द्वारा बैठाया गया है.
बताया गया कि इस मशीन से प्रति घंटा चार सौ टन कोयला को क्रश किया जायेगा. इसका साइज माइनस सौ एमएम होगा. प्रधानमंत्री कार्यालय व कोयला मंत्रालय द्वारा दिये गये कड़े निर्देश के बाद अब से कोल इंडिया की कोई भी कंपनी सरकारी थर्मल पावर स्टेशनों को माइनस सौ एमएम साइज के गुणवत्ता पूर्ण कोयले का ही डिस्पैच करेगी. सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह के दिशा-निर्देश के बाद इस मोबाइल क्रशिंग मशीन को सौंदा बी साइडिंग में बैठाया गया है. इस मशीन को फरवरी 2016 में ही बैठाने का लक्ष्य रखा गया था.
साथ ही सीसीएल के कई निदेशकों द्वारा इस मशीन को बैठाये जाने के बाबत साइडिंग का दौरा व स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक भी की गयी थी.
मौके पर जीएम ने कहा कि अब कोयला डिस्पैच समेत गुणवत्ता व साइज में किसी तरह की समस्या नहीं आयेगी. यह सीसीएल का पहला मोबाइल क्रशिंग मशीन है. इसे यहां पर भुरकुंडा, बलकुदरा, उरीमारी, न्यू बिरसा आउटसोर्सिंग परियोजना व बिरसा परियोजना के कोयले को क्रश करने के लिए बैठाया गया है.
इस मौके पर एसओ क्वालिटी जेएन गुप्ता, परियोजना के पीओ प्रशांत वाजपेयी, प्रोजेक्ट इंजीनियर अमरेंद्र कुमार व साइडिंग मैनेजर एसएस कुमार, यूएन प्रसाद, विकास मेहता, हरिओम अवस्थी, शशि स्ट्रक्चरल के सीइओ हिमांशु तिवारी, अब्दुल अजीज, सिकंदर अली, विनोद कुमार, ग्यासुद्दीन, खुर्शीद आलम, प्रकाश उरांव, संतोष कुमार, मो यासिन, डोरीलाल समेत कई लोग उपस्थित थे.
प्रतिदिन सात हजार टन कोयले का होगा डिस्पैच, दो रैक भी निकलेंगे : इस मशीन के लगने के बाद क्रशिंग मशीन के माध्यम से सात हजार से साढ़े सात हजार टन तक कोयले की क्रशिंग की जायेगी. इससे पूर्व यहां से मात्र डेढ़-दो हजार टन कोयले का ही डिस्पैच हो पा रहा था. बताया गया कि बलकुदरा आउटसोर्सिंग व न्यू बिरसा आउटसोर्सिंग परियोजना से ढाई-तीन हजार टन, उरीमारी परियोजना से डेढ़ हजार, बिरसा परियोजना से एक हजार टन कोयले का डिस्पैच इस क्रशिंग मशीन के लिए किया जायेगा. क्रशिंग मशीन में कोयले को क्रश करने के बाद पेलोडर से टिफिन ट्रकों के माध्यम से रेलवे रैक तक कोयले को पहुंचाया जायेगा. इसकी जिम्मेवारी शशि स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स कंपनी को ही दिया गया है. अगले तीन वर्षों तक यह कंपनी काम करेगी.
पीओ प्रशांत वाजपेयी ने बताया कि कोल क्रशिंग मशीन लग जाने के बाद अब सौंदा बी साइडिंग से प्रतिदिन दो रैक कोयले का डिस्पैच विभिन्न थर्मल पावर स्टेशनों को किया जायेगा. मशीन के लग जाने से कोयले की गुणवत्ता व साइज समेत कंपनी के प्रति टन कोयले में मुनाफा भी होगा. थर्मल पावर कोल क्रशिंग का अलग से 85 रुपये प्रति टन भुगतान करता है. मालूम हो कि इस साइडिंग से पूर्व में बमुश्किल एक रैक कोयले का डिस्पैच हो पा रहा था.
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