सार्वजनिक शौचालयों की बात अलग है. जिला मुख्यालय आैर अनुमंडल भवन में बने नये शौचालयों आैर पेशाब घर की स्थित बेहद दयनीय है. इन शौचालयों की गंदगी देख कर इसका उपयोग करना काफी मुश्किल लगता है. इन सरकारी कार्यालयों में आनेवाले आम लोगों को अगर शौच की आवश्यकता हुई, तो लोग खुले में ही जाने को मजबूर रहते हैं. लंबे समय से इन शौचालयों की सफाई नहीं होने के कारण यह स्थिति हुई है.
शौचालयों में पान-गुटकों के दाग भरे हुए हैं. मार्बल टूटे व उखड़े हैं. इसके लिए सिर्फ सरकारी महकमे को ही दोषी ठहराना उचित नहीं होगा. वैसे लोग भी कम दोषी नहीं हैं, जो इन शौचालयों का उपयोग कर वहां पान-गुटका खाकर थूक देते हैं. अनुमंडल भवन व समाहरणालय में जिन शौचालयों व पेशाब घरों की स्थिति अच्छी है, वहां कर्मचारियों ने अपने उपयोग के लिए ताला लगा दिया है.