प्रतिनिधि, तरहसी. प्रखंड के तरहसी पंचायत अंतर्गत अमानत नदी किनारे स्थित श्मशान घाट पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। विशेषकर शेड नहीं होने के कारण बरसात के मौसम में शव का दाह संस्कार करना ग्रामीणों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। बारिश के दौरान कई बार लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, जब तक मौसम सामान्य न हो जाये. दशगात्र संस्कार भी होता है प्रभावित श्मशान घाट पर शव जलाने में औसतन 3–4 घंटे लगते हैं, वहीं दशगात्र के दिन पिंडदान, तर्पण जैसे कर्मकांडों में 2–3 घंटे तक का समय लगता है। ऐसे में बारिश या तेज धूप के दौरान खुले आसमान के नीचे बैठकर संस्कार करना ग्रामीणों के लिए अत्यंत कठिन होता है। यहां बैठने या छांव की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. एकमात्र शेड भी हो चुका है जर्जर वर्ष 2007–08 में तत्कालीन सांसद धीरेंद्र अग्रवाल के कार्यकाल में सांसद निधि से एक शेड का निर्माण कराया गया था। लेकिन अब वह शेड भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है और उपयोग लायक नहीं रह गया है. कई पंचायतों के लिए एकमात्र श्मशान घाट अमानत नदी का यह श्मशान घाट तरहसी पंचायत के साथ-साथ उदयपुरा वन, आरका, सेलारी, और टरिया पंचायतों के गांवों मठपुरी, तेलडिहा, बेदानी, आरका, सुगी, अरकांडा, बगही, मिसिर दोहर, सेलारी और टरिया के ग्रामीणों द्वारा अंतिम संस्कार के लिए उपयोग में लाया जाता है. क्षेत्रीय स्तर पर यह घाट एकमात्र प्रमुख श्मशान स्थल है, लेकिन आज तक इस पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है। स्थानीय लोगों की मांग: शवदाह और बैठने के लिए हो अलग-अलग शेड ग्रामीणों की मांग है कि श्मशान घाट पर कम से कम दो पक्के शेड बनाये जायें. यह अक एक शव के दाह संस्कार हेतु और दूसरा परिजनों व पंडितों के बैठने के लिए। साथ ही प्रकाश, पानी और साफ-सफाई की भी व्यवस्था होनी चाहिए. सरकार व प्रशासन से अपील यह जनहित से जुड़ा विषय है, जो मानवीय संवेदनाओं से भी सीधा जुड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रखंड प्रशासन, जिला परिषद, विधायक और सांसद इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए शीघ्र समाधान की दिशा में ठोस कदम उठायें.
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