मेदिनीनगर. पलामू जिला स्वास्थ्य समिति ने सोमवार को विश्व यक्ष्मा दिवस मनाया. इस अवसर पर शहर के आइएमए हॉल में कार्यक्रम हुआ. मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. सीएस डा अनिल कुमार ने यक्ष्मा रोग के लक्षण और उससे बचाव के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यक्ष्मा रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह बैक्टीरिया शरीर के किसी भी हिस्से पर हमला कर सकता है. लेकिन आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है. फेफड़े की टीबी से संक्रमित व्यक्ति के खांसने व छींकने के दौरान अगर कोई व्यक्ति उसके संपर्क में आ जाता है, तो उसको भी टीबी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि फेफड़े से संबंधित टीबी मरीज करीब 10-11 लोगों को संक्रमित कर सकता है. यक्ष्मा के विस्तार को रोकने की दिशा में विभाग प्रयासरत है. केंद्र सरकार पूरे देश में टीबी उन्मूलन अभियान चला रही है. देश में टीबी के मामलों को कम करना और टीबी से पीड़ित लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है. इस अभियान के तहत, टीबी के रोगियों को पोषण, निदान, और व्यावसायिक सहायता दी जाती है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व टीबी दिवस हर वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 1892 में की गयी थी. इसका उद्देश्य डा कोच द्वारा खोजे गए बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) की वर्षगांठ को याद करते हुए लोगों को इसके खतरे के प्रति जागरुक करना है. इस बार विश्व टीबी दिवस की थीम ”””” हां, हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक टीबी संक्रमितों को पोषाहार राशि नहीं मिलेगी, तब तक टीबी का उन्मूलन नहीं कर सकते हैं. इसके लिए समाज के सक्षम लोगों को सामने आकर टीबी रोगी को गोद लेने की जरूरत है. कार्यक्रम में टीबी रोगियों को गोद लेने वाले 20 निश्चय मित्रों को सम्मानित किया गया. मौके पर डीआरसीएचओ डा एसके रवि, डा एसकेपी यादव, डा महेंद्र प्रसाद, डा ऋद्धि कुमारी, यूनीसेफ कोर्डिनेटर धनंजय त्रिवेदी सहित कई लोग मौजूद थे.
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