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पलामू की लाह से महिलाएं बनायेंगी चूड़ियां

45 महिला -पुरुषों का समूह प्रशिक्षण के िलए छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के लिए हुआ रवाना मेदिनीनगर : पलामू की महिलाएं अब लाह से चूड़ियां तैयार करेंगी. पलामू लाह के उत्पादन के लिए जाना जाता है. पलाश,लाह और महुआ के साथ इस इलाके की पहचान जुड़ी हुई है. कुंदरी लाह बगान को विकसित करने की योजना […]

45 महिला -पुरुषों का समूह प्रशिक्षण के िलए छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के लिए हुआ रवाना
मेदिनीनगर : पलामू की महिलाएं अब लाह से चूड़ियां तैयार करेंगी. पलामू लाह के उत्पादन के लिए जाना जाता है. पलाश,लाह और महुआ के साथ इस इलाके की पहचान जुड़ी हुई है. कुंदरी लाह बगान को विकसित करने की योजना प्रशासनिक स्तर पर तैयार की गयी है. एक दौर था, जब यहां बड़े पैमाने पर लाह का उत्पादन होता था. अब एक बार फिर से इसे समृद्ध करने का निर्णय लिया गया है. इसके तहत लाह के उत्पादन समूह के माध्यम से कराने और उसके बाद उससे स्थानीय स्तर पर चूड़ी का निर्माण कराने की कार्य योजना तैयार की गयी है. लाह का उत्पादन कैसे बढ़े, इसके लिए समूह के महिला और पुरुषों को प्रशिक्षित किया जायेगा. तय किया गया है कि इसके लिए समूह को वैसे इलाकों में भेजा जायेगा, जहां लाह का उत्पादन अधिक होता है.
इसी के तहत रविवार को 45 महिला पुरुषों का समूह छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के लिए रवाना हुआ. वन प्रमंडल पदाधिकारी नरेशचंद्र सिंह मुंडा ने हरी झंडी दिखा कर समूह को रवाना किया. इस मौके पर वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री मुंडा ने इस कार्य योजना पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण व स्थल भ्रमण के लिए विभिन्न समूह के लोगों को विभाग ने भेजा है. इस दौरान यह जानकारी लेंगे कि कैसे लाह का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ अन्य चीजों की जानकारी दी जायेगी. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के वैसे गांवों में प्रशिक्षणर्थी दल भ्रमण करेगा, जहां लाह का उत्पादन अधिक होता है. इसके पीछे उद्देश्य यही है कि लोग अनुभव हासिल करें और पलामू में भी इस तरह का प्रयास करें. मौके पर कुंदरी वन क्षेत्र के रेंजर विनोद विश्वकर्मा, वनपाल अर्जुन भगत, सचिदानंद पाठक, वनरक्षी अशोक कुमार सिंह, अरुण कुमार सिंह, मुकेश कुमार, विनय पांडेय, कमलेश कुमार सिंह, वनसुरक्षा समिति कुंदरी के अध्यक्ष विनोद राम सहित अन्य लोग मौजूद थे.
जिन गांवों के लोग गये भ्रमण पर : कुंदरी वन क्षेत्र के रेंजर विनोद विश्वकर्मा ने बताया कि अंबिकापुर में प्रशिक्षण व भ्रमण के लिए विभिन्न गांवों में गठित समूह के लोगों को ले जाया जा रहा है. इसमें कुंदरी वन क्षेत्र के पुरणाडीह, कुंदरी, गनके, केवटवार, कुंडेलवा, पोखराहा, चामा, करमा, पोलपोल, सिवड़ी, दरुआ, एकता, घुटुवा, हलुमाड़ आदि गांव के स्वयं सहायता समूह के सदस्य शामिल है. लाह उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण एवं स्थल भ्रमण कराया जा रहा है.
क्या-क्या है योजना : पलामू उपायुक्त अमीत कुमार के पहल पर यह प्रयास किया जा रहा है. कुंदरी लाह बगान को पुनर्जीवित कर फिर से इसे ख्याति दिलाने के उद्देश्य को लेकर काम किया जा रहा है.
जो कार्य योजना तैयार की गयी है, उसके मुताबिक पलामू के पलाश के फूल से गुलाल बनेगा. साथ ही कुंदरी लाह बगान को इकोटुरिजम के रूप में भी विकसित किया जायेगा. लाह से चूड़ी बनाने का काम स्थानीय लोग ही करें. इसके लिए लघु उद्योग लगाये जायेंगे. ऋद्धि सिद्धि लाह उत्पादक समिति इस कार्य के लिए सक्रिय है.
जो होगा लाभ : पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के कुंदरी लाह बगान को पुनर्जीवित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा. लाह उत्पादन होने व उस पर आधारित लघु उद्योग लगने से स्थानीय लोगों की बेकारी दूर होगी और पलायन रुकेगा. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. जो लोग परोक्ष व अपरोक्ष रूप से इससे जुड़ेंगे. उनके आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी.

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