समस्या. अमानत नदी पर एप्रोच पथ नहीं होने से लगता है जाम
अिजत मिश्रा
मेदिनीनगर : एनएच-75 पर स्थित अमानत नदी पर बना टू लेन पुल बन कर तैयार है. पुल तैयार हुए कई माह बीत गये, पर उस पर आवागमन शुरू नहीं हुआ. पुल तो बन गया है, पर पहुंच पथ निर्माण का मामला अभी भी विभागीय प्रक्रिया में उलझा हुआ है. इसका नतीजा यह है कि आये दिन अमानत नदी पुल पर जाम की स्थिति बनी रहती है.
रोजाना कम से कम चार से पांच घंटा जाम रहता है. इस दौरान वाहन से गुजरने वाले लोगों का औसतन प्रतिदिन कम के कम 10 हजार से अधिक का डीजल व पेट्रोल यूं ही बर्बाद हो जाता है.
यह समस्या कोई एक दिन का नहीं है. बल्कि पिछले पांच वर्ष से यह स्थिति बनी हुई है. इसे देखते हुए अमानत नदी पर टू लेन पुल की योजना स्वीकृत हुई थी. अमानत नदी पुल आवागमन के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसी मार्ग से होकर झारखंड से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि जाये जाता है. प्रतिदिन इस मार्ग से छोटे-बड़े वाहन मिला कर करीब 2000 वाहन का आना-जाना होता है. जाम की स्थिति न बने, इसके लिए पुलिस ने जवानों की प्रतिनियुक्त भी की है. लेकिन इसके बाद भी जाम की स्थिति बनी रहती है.
गर्मी के मौसम जब नदी में पानी कम रहता है, तो लोग नदी से होकर भी गुजर जाते हैं. लेकिन इस बार पलामू में बरसात अच्छी हुई है. अमानत
नदी में पानी है, तो ऐसे में यह रास्ता भी नहीं बचा.क्यों है ऐसी समस्या : पुल बन कर तैयार है फिर भी आवागमन शुरू नहीं हो पा रहा है. क्योंकि अमानत नदी पर जो नया पुल बना है. उसमें पहुंच पथ का निर्माण करना है. पहुंच पथ के लिए जिस भूमि का उपयोग करना है, वह रैयती प्लांट है. इसलिए उस भूमि का अधिग्रहण किया जाना है.
इसकी प्रक्रिया शुरू है. लेकिन कब तक पूरी होगी, यह भी एक सुलगता सवाल है. लोगों का कहना है पुल बन रहा था, उसी वक्त यह पता था कि पहुंच पथ के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. तब यह प्रक्रिया पूर्व में ही पूर्ण क्यों नहीं की गयी. आखिर मामले को लटकाकर क्यों रखा गया? यह एक बड़ा सवाल है.
क्या होगा लाभ
यदि नये पुल पर आवागमन शुरू हो जाये, तो लोगों को राहत मिलेगी. अभी स्थिति यह है पड़वा, पाटन, छतरपुर सहित अन्य इलाकों से जिन्हें काम से प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर आना है, उन्हें जाम में फंसना पड़ता है. यात्री वाहन भी जाम में फंसे रहते हैं. यदि नये पुल पर आवागमन शुरू हो जाये, तो लोगों को जाम से निजात मिलेगी. साथ ही समय भी बचेगा.
क्यों फंसा है मामला
बताया जाता है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण करने से पहले सोशल इंपैक्ट एसएसमेंन्ट रिपोर्ट दी जानी है. यह रिपोर्ट विश्वविद्यालय द्वारा जारी की जाती है. इस रिपोर्ट के लिए भू अर्जन विभाग ने दो माह पहले ही नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय को लिखा है. लेकिन इसके बाद भी आज तक रिपोर्ट नहीं मिली है. कहा जाता है कि जिन लोगों की जमीन का अधिग्रहण होना है, उनके साथ जिला भू-अर्जन पदाधिकारी की बैठक भी हो चुकी है. लेकिन सिर्फ इस रिपोर्ट के कारण मामला लटका हुआ है.