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669 करोड़ के ठेके में हुई गड़बड़ी

669 करोड़ के ठेके में हुई गड़बड़ी ग्रामीण विद्युतिकरण – जांच कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट क्या-क्या है रिपोर्ट में -तकनीकी मूल्यांकन समिति ने नहीं की दस्तावेजों की गहन जांच -कुछ कंपनियों को कागजात जमा करने का मौका दिया, जबकि कुछ को बाहर निकाला -बैंक गारंटी के आधार पर कंपनियों को बाहर निकालने से […]

669 करोड़ के ठेके में हुई गड़बड़ी ग्रामीण विद्युतिकरण – जांच कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट क्या-क्या है रिपोर्ट में -तकनीकी मूल्यांकन समिति ने नहीं की दस्तावेजों की गहन जांच -कुछ कंपनियों को कागजात जमा करने का मौका दिया, जबकि कुछ को बाहर निकाला -बैंक गारंटी के आधार पर कंपनियों को बाहर निकालने से बोली में प्रतिस्पर्द्धा नहीं हुई और रेट अधिक आया जांच कमेटी में कौन-कौन थे सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच के लिए त्रिसदस्यीय समिति का गठन किया था. इसमें ऊर्जा विभाग के उप सचिव रवि रंजन मिश्र, अधीक्षण अभियंता विजय कुमार सिंह और सहायक विद्युत अभियंता जयकांत कुमार शामिल थे़ क्या है मामलाझारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने 669 करोड़ की लागत से 10 जिलों में ग्रामीण विद्युतीकरण से जुड़े काम का टेंडर मई 2015 में निकाला था. इसके तहत रांची, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, खूंटी, लोहरदगा, जामताड़ा, देवघर, साहेबगंज, गोड्डा और पाकुड़ में काम कराया जाना था. टेंडर में हिस्सा लेनेवाली कंपनियों से 10-10 लाख रुपये की बैंक गारंटी मांगी गयी थी. कई कंपनियों ने अकाउंट्स ऑफिसर के बदले मुख्य अभियंता के नाम पर बैंक गारंटी जमा की थी. टीइसी ने मूल्यांकन के दौरान इन कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया़ जबकि कुछ कंपनियों को अतिरिक्त दस्तावेज आदि जमा करने का मौका दिया़ निगम के वित्त नियंत्रक उमेश कुमार ने टीइसी की इस कार्रवाई‌ कर आपत्ति की थी. उन्होंने टिप्पणी की थी कि सिर्फ बैंक गारंटी के आधार पर बड़ी कंपनियां को टेंडर प्रक्रिया से बाहर करना निगम के हित में नहीं है. टीइसी की इस काम के बाद मुख्यमंत्री सहित राज्य के वरीय अधिकारियों को टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने और साजिश रच कर कुछ कंपनियों को बाहर करने से संबंधित शिकायतें मिली थी. इसके बाद सरकार ने जांच का आदेश दिया था.शकील अख्तर, रांची ग्रामीण विद्युतीकरण में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए बनी कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है़ रिपोर्ट में ग्रामीण विद्युतीकरण के ठेके में 669 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की पुष्टि की गयी है़ कहा गया है कि तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीइसी) की ओर से गहन जांच नहीं करने के कारण कई कंपनियां टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गयीं. इससे अधिक दर पर काम करने का प्रस्ताव मिला़ एस्टीमेट से 35 प्रतिशत तक अधिक रेट कोट हुआ जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टीइसी ने टेंडर से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच नहीं की. इस वजह से प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई. बैंक गारंटी के आधार पर कुछ कंपनियों को बाहर किये जाने से प्रतिस्पर्धी बोली (कंपिटीटिव बिडिंग) नहीं लगायी जा सकी. इससे एस्टीमेट के मुकाबले 19 से 35 प्रतिशत अधिक दर पर काम करने के प्रस्ताव मिले. 10 जिलों में से सिर्फ सरायकेला में ग्रामीण विद्युतीकरण के काम के लिए कम पर प्रस्ताव आया. पर यह भी एस्टीमेट से 6.31 प्रतिशत अधिक था. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बैंक गारंटी के आधार पर कुछ कंपनियों को बाहर नहीं किया गया होता, तो टेंडर में प्रतिस्पर्धा अधिक होती. साथ ही कम लागत पर काम करने का प्रस्ताव मिलने की संभावना होती. निगम के जवाब संतोषप्रद नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ कंपनियों के मामले में निगम के जवाब संतोषप्रद नहीं थे. कमेटी ने जांच के दौरान बैंक गारंटी के सिलसिले में कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. निगम ने यह कहते हुए जवाब देने से इनकार कर दिया कि बैंक गारंटी संबंधित कंपनियों को वापस कर दी गयी हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बैंक गारंटी के आधार पर कुछ कंपनियों को साजिश रच कर टेंडर प्रक्रिया से निकाला गया या नहीं, यह आपराधिक मामला है और इस बिंदु की जांच गृह विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है़

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