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तीन वश्विवद्यिालयों के रजस्ट्रिार को सशरीर हाजिर होने का नर्दिेश

तीन विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को सशरीर हाजिर होने का निर्देशविश्वविद्यालयों को राशि देने के बाद क्यों सोयी रहती है सरकार : कोर्टउच्च शिक्षा निदेशक विश्वविद्यालयों का इंस्पेक्शन रिपोर्ट पेश करें सिद्धो-कान्हो विवि दुमका व बिनोवा भावे विवि हजारीबाग को जवाब देने के लिए समय मिलामामला कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति कारांची : […]

तीन विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को सशरीर हाजिर होने का निर्देशविश्वविद्यालयों को राशि देने के बाद क्यों सोयी रहती है सरकार : कोर्टउच्च शिक्षा निदेशक विश्वविद्यालयों का इंस्पेक्शन रिपोर्ट पेश करें सिद्धो-कान्हो विवि दुमका व बिनोवा भावे विवि हजारीबाग को जवाब देने के लिए समय मिलामामला कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति कारांची : झारखंड हाइकोर्ट ने0 बुधवार को राज्य के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासनों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. रांची विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय व नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की अोर से अधिवक्ता के उपस्थित नहीं होने तथा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी गयी. मामले को गंभीरता से लेते हुए उक्त विश्वविद्यालयों के रजिस्टार को अगली सुनवाई के दाैरान सशरीर हाजिर होकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया. वहीं सिद्धो-कान्हो विवि दुमका व बिनोवा भावे विवि हजारीबाग की अोर से अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय देने का आग्रह किया. कोर्ट ने आग्रह मंजूर करते हुए जवाब देने के लिए आैर समय प्रदान कर दिया. कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक से पूछा कि प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करते हैं अथवा नहीं. यदि निरीक्षण करते हैं, तो निरीक्षण रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल किया जाये. उक्त मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने कहा कि पैसा रहते हुए शाैचालयों की स्थिति दयनीय है. राज्य सरकार से पूछा कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में शाैचालय की दयनीय स्थिति क्यों है. राशि देने के बाद सरकार क्यों सोयी रहती है. जब फंड देते है, तो आंखें क्यों मूंद लेते है. इस पर राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि सरकार विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध करा देती है. राशि की कोई कमी नहीं है. राशि खर्च करना तथा कार्य कराना विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेवारी है. शाैचालय की दयनीय स्थिति के लिए विश्वविद्यालय जिम्मेवार है. गाैरतलब है कि कॉलेजों में शाैचालय की दयनीय स्थिति से संबंधित अखबारों में प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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