रामचरित मानस चारों वर्णों को जोड़ता है : विद्यासागर 17जीडब्ल्यूपीएच20-प्रवचन करते पंडित विद्यासागरजी गढ़वा. भगवान का जन्म यज्ञ से, यात्रा हवन यज्ञ से, विवाह धनुष यज्ञ से तथा प्रस्थान अश्वमेघ यज्ञ से हुआ था. भगवान राम व सीता का प्रथम मिलन पुष्पवाटिका में हुआ था. उक्त बातें शहर के नवादा मोड़ स्थित मां दूर्गा पूजा समिति पंडाल में प्रवचन कर रहे वाराणसी से आये भास्कर पंडित विद्यासागरजी ने कही. उन्होंने रामा-सीता के मिलन का वर्णन करते हुए कहा कि माता सीता भगवान राम का रूप, शील और बल देखकर उनपर मोहित हुई थीं. भगवान का वह स्वरूप देखकर जनकपुर के सारी नर-नारी मंत्रमुग्ध हो गये थे. उन्होंने कहा कि भगवान राम की शीतलता और कोमलता को देखा जाये, तो राम मक्खन से भी कोमल हैं और उनके बल को देखना हो, तो वे पत्थर से भी कठोर हैं. जिस धनुष को 10 हजार राजा नहीं उठा सके, वह धनुष श्रीराम को प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूट गयी. उन्होंने कहा कि वास्तव में गीता योग का विषय है और श्रीमदभागवत वियोग का विषय है. जबकि रामचरित मानस संयोग का विषय है. रामचरित मानस चारों वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को जोड़ने का काम करता है. प्रवचन में विद्यासागरजी के सहयोग में भरत भूषण गोस्वामी, सुमंत शास्त्री, दिवाकर पांडेय एवं कामेश्वर शास्त्री के अलावा मंच संचालक जितेंद्र प्रसाद ने किया.
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रामचरित मानस चारों वर्णों को जोड़ता है : वद्यिासागर
रामचरित मानस चारों वर्णों को जोड़ता है : विद्यासागर 17जीडब्ल्यूपीएच20-प्रवचन करते पंडित विद्यासागरजी गढ़वा. भगवान का जन्म यज्ञ से, यात्रा हवन यज्ञ से, विवाह धनुष यज्ञ से तथा प्रस्थान अश्वमेघ यज्ञ से हुआ था. भगवान राम व सीता का प्रथम मिलन पुष्पवाटिका में हुआ था. उक्त बातें शहर के नवादा मोड़ स्थित मां दूर्गा पूजा […]
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