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गांव शफ्टि हुई राजनीति, पार्टियों ने भी किया फोक्स

गांव शिफ्ट हुई राजनीति, पार्टियाें ने भी किया फोक्सपार्टियों ने बंद की सांगठनिक गतिविधियांपंचायत चुनाव के सहारे ग्रास रूट पर पकड़ बनाने की कोशिशअपने समर्थकों को मुखिया और जिला परिषद सदस्य बनाने में जोरब्यूरो प्रमुख, रांची राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो गयी है़ 22 नवंबर से चार चरण में चुनाव होने है़ं […]

गांव शिफ्ट हुई राजनीति, पार्टियाें ने भी किया फोक्सपार्टियों ने बंद की सांगठनिक गतिविधियांपंचायत चुनाव के सहारे ग्रास रूट पर पकड़ बनाने की कोशिशअपने समर्थकों को मुखिया और जिला परिषद सदस्य बनाने में जोरब्यूरो प्रमुख, रांची राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो गयी है़ 22 नवंबर से चार चरण में चुनाव होने है़ं ग्रास रूट में सबसे मजबूत लोकतांत्रिक संस्था पंचायत में पैठ बनाने के लिए राजनीति गांव शिफ्ट करेगी़ त्रिस्तरीय चुनाव भले ही पार्टियों के सिंबल पर नहीं होंगे, लेकिन राजनीतिक दल अपने समर्थकों के सहारे पंचायत से लेकर जिला परिषद में पैठ बनाने की कोशिश करेंगे़ अपने समर्थकों को मुखिया और जिला परिषद के सदस्य बनाने में जोर लगायेंगे़ पंचायत चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों ने सांगठनिक कामकाज और गतिविधियों को पंचायत चुनाव के मद्देनजर बंद करने का फैसला लिया है़ भाजपा-कांग्रेस में सांगठनिक प्रक्रिया पूरी करनी है़ अब पंचायत चुनाव के बाद ही संगठन में कोई फेरबदल होगा़ झाविमो ने भी 15 नवंबर से पहले सदस्यता अभियान खत्म करने का फैसला किया है़ झामुमो भी पंचायत चुनाव के बाद सांगठनिक कार्यक्रम करेगा. वहीं आजसू नेता-कार्यकर्ता पंचायत चुनाव मेें जोर लगायेंगे़ पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद पार्टी अधिवेशन करेगी़ राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपने समर्थक-कार्यकर्ता को आगे करने की रणनीति बना रहे है़ं सांसद-विधायकों का बढ़ा टेंशनपंचायत चुनाव में पार्टियों के सांसद-विधायकों का टेंशन बढ़ने वाला है़ मुखिया से लेकर जिला परिषद के सदस्य बनने की तमन्ना रखने वाले रणबाकुरे सांसद-विधायकों के चक्कर लगायेंगे़ सांसद-विधायक का समर्थन हासिल करने के साथ-साथ चुनावी खर्च का भी डिमांड होगा़ वहीं पार्टी ने अपने समर्थक को उतारा, तो चुनावी खर्च का भी जुगाड़ करना होगा़ पंचायत चुनाव में भी कैश का जलवा होगा़ 4402 मुखिया बन सकते हैं राजनीति दल की ताकतत्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के माध्यम से राज्य के 24 जिलों के 263 प्रखंड में 4402 मुखिया चुने जाने है़ं गांव और पंचायत स्तर पर मुखिया आम लोगों तक पहुंचेंगे़ इनके माध्यम से राजनीतिक दलों की भी जमीनी पकड़ मजबूत हो सकती है़ ग्रामीणों से मुखिया का सीधा संवाद रहता है़ ऐसे में चुन कर आने वाले मुखिया राजनीतिक दलों की ताकत हो सकते है़ं जिस राजनीति दल के जितने ज्यादा समर्थक-कार्यकर्ता इस त्रिस्तरीय चुनाव में भागीदार होंगे, पार्टी की पैठ उतनी गहरी होगी़

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