63 साल में एक बार भी नहीं हुई गणोश लाल अग्रवाल उवि के भवन की मरम्मत
राकेश पाठक
मेदिनीनगर : गणोश लाल अग्रवाल उच्च विद्यालय शहर का शैक्षणिक स्तंभ माना जाता है. 1951 में इस विद्यालय की स्थापना हुई थी. भवन बना था, तब जमाने के हिसाब से काफी मजबूत. चूंकि ढलाई का चलन नहीं था, इसलिए खपरैल भवन ही था, लेकिन अपने जमाने के अत्याधुनिक स्कूलों में एक. स्थापना के 63 साल हुए. बात एक व्यक्ति की की जाये, तो सरकार यह मान कर चलती है कि 60 वर्ष के बाद व्यक्ति रिटायर होता है.
यद्यपि शिक्षा विभाग में उम्र 65 साल है. लेकिन इस दौरान देखभाल भी तो जरूरी है, लेकिन जब आप इस विद्यालय के भवन का देखेंगे, तो देखने मात्र से ऐसा लगता है कि अगर भवन की यदि जुबान होती, तो वह बोल उठता कि कुछ हम पर भी दया करिये. मेरी रक्षा कीजिए. क्योंकि अस्तित्व संकट में है. न जाने कब ढह जाये. अभी प्रचंड धूप है, जब बारिश होगी, तो इस साल गुजारना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो जायेगा. यह स्थिति कोई दूर-दराज के इलाके का नहीं है, बल्कि शहर के बीचोबीच स्थित विद्यालय की है. गणोश लाल अग्रवाल उच्च विद्यालय शहर के वार्ड नंबर 11 में आढ़तरोड के पास स्थित है. भवन की मरम्मत नहीं होने के कारण खपरैल का एक हिस्सा टूट कर गिर रहा है. शिक्षक कहते हैं कि इस बार बरसात में मुश्किल है. क्योंकि जो भाग टूट रहा है, वह अगर ध्वस्त हो जाये तो ऊपरी तल्ला में पढाई पूरी तरह से बाधित हो जायेगी. क्योंकि वह सीढ़ी रूम भी है.
कई बार भेजा गया है प्रस्ताव
गणोश लाल अग्रवाल उच्च विद्यालय का हाल बदहाल है. इसकी मरम्मत हो, इसे लेकर स्कूल प्रबंधन द्वारा कई बार प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन अभी तक अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई. जबकि झारखंड राज्य गठन के बाद प्रखंड स्तर पर +2 विद्यालय के बड़े-बड़े भवन बने हैं,भले ही उसका उपयोग न हो, पर करोड़ो रुपये बहाये गये. लेकिन जहां जरूरत है, उसका प्रस्ताव फाइलों में ही गुम होकर रह गया है.
क्या हो रही है परेशानी
स्कूल के प्राचार्य सुरेंद्र पांडेय का कहना है कि भवन के अभाव में पढ़ाई बाधित हो रही है. सेक्शन बढ़ाये नहीं जा रहे हैं. अभी सभी कक्षा में एक ही सेक्शन चल रही है. भवन की मरम्मत हो, इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है, डीसी कृपानंद झा से भी मुलाकात की गयी है. उन्होंने सार्थक पहल का भरोसा दिलाया है.