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10 लाख की आबादी पर महज 32 चिकित्सक

जिले में 85 डॉक्टरों के पद है स्वीकृत, चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा जिला पाकुड़ : 10 लाख की आबादी वाले पाकुड़ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का काफी बुरा हाल है. सबसे ज्यादा परेशानी प्रसूताओं को होती है. जिले में एक सदर अस्पताल के अलावे 06 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 09 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र […]

जिले में 85 डॉक्टरों के पद है स्वीकृत, चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा जिला

पाकुड़ : 10 लाख की आबादी वाले पाकुड़ जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का काफी बुरा हाल है. सबसे ज्यादा परेशानी प्रसूताओं को होती है. जिले में एक सदर अस्पताल के अलावे 06 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 09 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 121 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं. जिले में कुल 85 चिकित्सक के पद स्वीकृत हैं, जबकि मात्र 32 चिकित्सक ही जिले में कार्यरत हैं. इतनी बड़ी आबादी वाले जिले में सर्जन के लिए मात्र दो पद ही सृजित हैं. जिसमें डॉ शंकर लाल मुर्मू व डॉ आरके चौधरी सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं. घटना-दुर्घटना या अन्य गंभीर बीमारी का इलाज केवल यहां नाम मात्र ही होता है.
अधिकांश मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. खास कर इलाज के लिए गांव-देहात से पहुंची प्रसूता को भी अस्पताल की चरमराई व्यवस्था के कारण काफी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार तो चिकित्सकों की कमी के कारण प्रसूता को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. जिले के गैर सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो सबसे ज्यादा सीजेरियन मामले इन्हीं अस्पतालों में मिलता है. सदर अस्पताल में इसके वनिस्पत काफी कम सिजेरियन मिलेंगे. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो इसका हाल और भी बुरा है.
कर्तव्य निर्वहन में कर्मी लापरवाह
सदर अस्पताल की लचर व्यवस्था की अगर बात करें तो हाल ही में पाकुड़-गोड‍्डा मुख्य पथ पर नगर थाना क्षेत्र के सोनाजोड़ी के समीप हुए बस व ऑटो की सीधी टक्कर में चार लोगों की जानें गयी है. एक व्यक्ति की मौत घटना स्थल पर ही हो गयी थी. जबकि तीन लोगों को गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल लाया गया. घायलों का समय पर उपचार शुरू नहीं की गयी थी, चिकित्सक नदारद थे. देर से इलाज शुरू होने के कारण और तीन लोगों की जानें जा चुकी थी. आक्रोशित लोगों ने इसे लेकर हंगामा भी किया था. बावजूद व्यवस्था दुरुस्त नहीं किया जा सका है.
प्रखंड क्षेत्र में संचालित अस्पतालों का हाल बुरा
जिला मुख्यालय की बात अगर छोड़ दी जाय तो प्रखंड मुख्यालयों में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल सबसे बुरा है. जिले के लिट‍्टीपाड़ा, पाकुड़ सदर, हिरणपुर, अमड़ापाड़ा, महेशपुर व पाकुड़िया प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त किये जाने के नाम पर दर्जनों भवन बनाये गये हैं. परंतु उस भवन का सही तरीके से उपयोग अब तक नहीं हो पाया है. सदर प्रखंड के मोंगलापाड़ा में लाखों की लागत से बने स्वास्थ्य केंद्र वर्षों बाद भी बंद है. इसका लाभ आज तक आसपास के क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाया है. बहरहाल जब तक जिला प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता है, हालात नहीं सुधरेंगे.
सिटी स्कैन की व्यवस्था नहीं
जिले में सिटी स्कैन की कोई व्यवस्था नहीं है. सिटी स्कैन कराये जाने की नौबत आने पर मरीजों को पश्चिम बंगाल के मालदा व कोलकाता सहित अन्य जगह जाना पड़ता है. इतना ही नहीं सदर अस्पताल पाकुड़ में एमआरआइ की भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. आइसीयू की अगर बात करें तो सरकार के पहल पर सदर अस्पताल पाकुड़ परिसर में ही विभाग ने स्थल का चयन किया है. आइसीयू की व्यवस्था को लेकर विभाग की ओर से सरकार को पत्र भी भेजी गयी है. परंतु वर्तमान समय में आइसीयू की व्यवस्था नहीं हो पायी है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक जल्द ही पाकुड़ में आइसीयू की सुविधा जिले वासियों को मिलेगी. वर्तमान में यहां के मरीजों को एक्स-रे व पैथोलॉजी जांच की सुविधा अस्पताल प्रबंधन की ओर से उपलब्ध करायी गयी है.
कहते हैं प्रभारी सीएस
प्रभारी सीएस डॉ धर्मवीर ने कहा कि जिले भर में चिकित्सकों की भारी कमी है. बावजूद मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराये जाने को लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

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