14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नियमित नहीं मिलता काम, पलायन को विवश लोग

विडंबना . नौ माह में अमड़ापाड़ा के जॉब कार्डधारियों को मात्र छह-सात दिन ही मिला काम अमड़ापाड़ा प्रखंड के 10 पंचायत में संचालित है मात्र 333 योजनाएं अमड़ापाड़ा : एक ओर सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने को लेकर लगातार अलग-अलग योजनाएं संचालित कर रही है. कौशल विकास योजना के तहत सरकार युवाओं को प्रशिक्षित […]

विडंबना . नौ माह में अमड़ापाड़ा के जॉब कार्डधारियों को मात्र छह-सात दिन ही मिला काम

अमड़ापाड़ा प्रखंड के 10 पंचायत में संचालित है मात्र 333 योजनाएं
अमड़ापाड़ा : एक ओर सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने को लेकर लगातार अलग-अलग योजनाएं संचालित कर रही है. कौशल विकास योजना के तहत सरकार युवाओं को प्रशिक्षित कर रही है, ताकि युवा वर्ग के लोग रोजगार कर अपने पैरों पर खड़ा हो सके. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रोजगार के तलाश में पलायन करने को विवश हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक अमड़ापाड़ा प्रखंड की कुल आबादी 60522 है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाले अमड़ापाड़ा में ऐसे तो शुरू से ही विकास कार्य की गति काफी धीमी रही है. वित्तीय वर्ष 2017-18 की अगर बात करें तो प्रखंड के 10 पंचायतों में मात्र 333 योजनाएं ही मनरेगा की संचालित है.
उपरोक्त योजनाओं में अब तक सरकारी आंकड़े पर अगर गौर की जाये तो लगभग 50869 दिन कार्य हुआ है और इस कार्य के निष्पादन को लेकर 8268 जॉब कार्डधारी मजदूर एक्टिव हैं. कहा जा सकता है कि इस वित्तीय वर्ष में एक जॉब कार्डधारी मजदूर को लगभग 6-7 दिन ही काम मिल पाया है. ऐसे में मजदूरों को रोजगार की तलाश में क्षेत्र से बाहर जाना पड़ रहा है. गौर करने वाली बात यह है कि अमड़ापाड़ा प्रखंड से प्रतिदिन अन्य राज्यों व महानगरों में काफी संख्या में लोग रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. जिसे रोकने की दिशा में किसी भी प्रकार की ठोस पहल विभाग की ओर से नहीं की जा रही है. गौरतलब हो कि प्रखंड के तालडीह कित्ता बारगो, खांडोकाटा, सिंहदेहरी, धमनीचुआं, सियालपहाड़ी, आमझारी, तालझारी, दुधाजोर आदि गांव घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. सरकार व पदाधिकारियों की ओर से समय-समय पर इन क्षेत्रों में विकास को लेकर कई योजनाएं तो चलायी गयी है, पर ठोस नीति नहीं होने के कारण आज भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है.
योजनाओं की नहीं हो रही मॉनीटरिंग
अमड़ापाड़ा प्रखंड में संचालित योजनाओं के मॉनीटिरिंग में प्रखड कार्यक्रम पदाधिकारी विफल साबित हो रहे हैं. मजदूरों का पलायन न रुकना और प्रखड में मनरेगा योजना का फिसड्डी साबित होना प्रखंड प्रशासन विफलता को दर्शाता है. अगर योजनाओं की सही रूप से मॉनीटरिंग होती तो योजनाएं जल्द पूरी होती और अधिक से अधिक योजनाओं का संचालन भी होता. इस दिशा में प्रखंड कर्मियों का अपना दायित्व का निर्वहन करना चाहिये.
80 प्रतिशत योजना पीएम आवास से संचालित
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रखंड के आलूबेड़ा में 74, डुमरचिर में 273, पचुवाड़ा व अमड़ापाडा संथाली में 88, बासमती में 96, बोहड़ा में 56, जामुगाड़िया में 60, जराकी में 77, पचुवाड़ा में 131, पडेरकोला में 131 व सिंगारसी में 60 योजनाएं संचालित हो रही है. जिसमें 80 प्रतिशत योजना प्रधानमंत्री आवास योजना की है. जबकि 20 प्रतिशत योजनाएं ही मनरेगा से संचालित है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
मनरेगा योजना के तहत गांव-गांव में मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया गया है. साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र से 11 लड़कों की सूची प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत जिला को भेजी गयी है.
रोहित कुमार सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी
क्या कहते हैं बीपीओ
कार्यान्वित सभी योजनाएं मजदूरी पर आधारित है. योजनाओं के मॉनीटिरिंग में रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता तत्पर हैं. वहीं पलायन रोके जाने की बात पर बताया कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.
जगदीश पंडित, बीपीओ

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें