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उच्च शिक्षा में सुधार के लिए बंद हो संविदा आधारित नियुक्तियां: डॉ शिवाकर

झारखंड में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा नहीं है. प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए क्षेत्र के शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखना होगा तथा छात्रों को भी इसके प्रति सजग करने की जरूरत है. पाकुड़ : इंटरनल क्वालिटी एस्योरेंस सेल के तत्वावधान में कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज पाकुड़ के सेमिनार […]

झारखंड में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा नहीं है. प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए क्षेत्र के शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखना होगा तथा छात्रों को भी इसके प्रति सजग करने की जरूरत है.

पाकुड़ : इंटरनल क्वालिटी एस्योरेंस सेल के तत्वावधान में कुमार कालीदास मेमोरियल कॉलेज पाकुड़ के सेमिनार हॉल में शनिवार को हायर एजुकेशन विथ स्पेशल रेफरेंस टू झारखंड विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसका उद‍घाटन मुख्य अतिथि वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार, मुख्य वक्ता डॉ बीके सिन्हा, डॉ शिवाकर ठाकुर, केकेएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ अवध प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया. सेमिनार को संबोधित करते हुए डीएफओ रजनीश कुमार ने कहा कि झारखंड में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा नहीं है.
प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए क्षेत्र के शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखना होगा तथा छात्रों को भी इसके प्रति सजग रहना होगा. वहीं ग्वालियर से आये मुख्य वक्ता डॉ शिवाकर ठाकुर ने कहा कि उच्च शिक्षा की प्रमुख समस्या यह है कि केंद्र सरकार उच्च शिक्षा क्षेत्र को अनुत्पादक विनिमय मानती है
और इसकी जिम्मेवारी उठाने से सरकार कन्नी काटती है. यूजीसी का सब प्रकार से हस्तक्षेप, नैक का मनमानीकरण, जोड़-तोड़ के द्वारा कुलपति एवं उच्च पदों पर विशेषकरण राजनीतिक प्रभावों से नियुक्ति, उच्च शिक्षा का निजीकरण और उस मार्ग से व्यवसायीकरण, नियुक्तियां नहीं होने देना, छात्रों को मनमाने ढंग से बढ़ावा देना आदि इस क्षेत्र की समस्याएं हैं. इस गिरावट के लिए उच्च शिक्षा से संबद्ध शिक्षक, उनका कुलपति एवं शासन द्वारा सतत शोषण आदि भी भारी जिम्मेवार हैं.
कहा कि पूरे देश का शिक्षा बजट का 90 प्रतिशत से अधिक अकेले जेएनयू में खर्च होता है. कहा कि उच्च शिक्षा को सही रूप से बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार सभी विश्वविद्यालय में समान बजट का वितरण करना चाहिए. कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए संविदा आधारित शिक्षा को बंद कर देना चाहिए. वहीं एसएस मेमोरियल कॉलेज रांची से आये वक्ता डॉ बीके सिन्हा ने कहा कि उच्च शिक्षा में बदलाव आ रहा है. इस बदलाव के लिए शिक्षक, विद्यार्थी एवं समाज को तैयार रहने की आवश्यकता है.
कहा कि इंटरनेट, फ्री ओपेन सोर्स एवं मेसिव ऑनलाईन ओपेन कोर्स की उपयोगिता शिक्षण में बढ़ रही है. इसका उपयोग करना सीखना होगा. शोध पर विशेष ध्यान देना होगा. शोध से ही ज्ञानवर्द्धन होता है, पुस्तकें बनती है और पढ़ने, पढ़ाने और समाज को गढ़ने के लिए आवश्यक है. कहा कि उच्च शिक्षा के नुकसान के लिए केवल ब्यूरोक्रेट‍्स जिम्मेदार हैं.
इससे निबटने के लिए छात्रों को मेहनत करनी होगी. मौके पर डॉ डीएन वर्मा, डॉ वीके प्रभात, डॉ सरफराज अहमद, डॉ अमिता हेंब्रम ने भी अपने विचार रखे. मौके पर मंच का संचालन केकेएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ अवध प्रसाद ने किया. मौके पर डॉ कृपाशंकर अवस्थी, डॉ प्रसनजीत मुखर्जी, डॉ इंद्रजीत उरांव, डॉ सुधीर हेंब्रम, डॉ उमेश सिंह, प्रो शिव प्रसाद लोहरा, प्रो अजय दास सहित अन्य उपस्थित थे.
पुस्तक का हुआ विमोचन
उपरोक्त सेमिनार के दौरान अब्सट्रक्ट‍्स नामक पुस्तक का विमोचन डीएफओ रजनीश कुमार, मुख्य वक्ता डॉ शिवाकर ठाकुर, डॉ बीके सिन्हा, डॉ कृपाशंकर अवस्थी, डॉ प्रसन्नजीत मुखर्जी ने किया. वहीं मौके पर प्राचार्य डॉ अवध प्रसाद ने मुख्य वक्ता डॉ शिवाकर ठाकुर, डॉ बीके सिन्हा को मोमेंटो देकर सम्मानित किया.

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