कुड़ू : दो दशक पहले जहां नक्सलियों की हुकूमत चलती थी, बगैर इजाजत के पत्ता तक नहीं हिलता था, आज उसी इलाके में पुलिस के बिछाये जाल मे नक्सली घिरते जा रहे हैं. एक समय था जब नक्सलियों के इजाजत के बगैर किस्को, कुड़़ू, चंदवा, लातेहार के जंगलों में कोई प्रवेश तक नहीं कर पाता था.
लेकिन लोहरदगा जिले में पेशरार प्रखंड तथा थाना बनने, बगड़ू, जोबांग,कुड़ू के बड़की चांपी में पुलिस पिकेट, 27 तथा 33 नंबर पुलिस पिकेट बनने , बड़े नक्सली नेताओं नकुल, मदन के सरेंडर करने,कुछ बड़े नक्सलियों सुभाष, श्याम, कुलदीप, सबरू, निर्मल, विक्रांत समेत अन्य के पकड़े जाने तथा जेल से निकलने के बाद मुख्य जीवनधारा में लौटने के कारण क्षेत्र में नक्सलियों की पकड़ कमजोर होते जा रही है. हाल के दिनों में पुलिस के साथ मुठभेड़ तथा नक्सलियों की गिरफ्तारी पर पुलिस की रणनिति कारगर हो रही है. कभी पुलिस को फंसाने के लिए जो जाल नक्सली बुनते थे आज पुलिस नक्सलियों को फंसाने के लिए कुछ इसी प्रकार की रणनीति अपना रही है.
लोहरदगा एसपी प्रियदर्शी आलोक के बुने जाल में माओवादी, टीएसपीसी, जेजेएमपी तथा अन्य नक्सली संगठन उलझ कर रह जा रहे हैं. पिछले सात माह के भीतर माओवादी जोनल कमांडर रवींद्र गंझू के दस्ते के साथ पुलिस की तीन बार, टीएसपीसी के साथ एक बार तथा जेजेएमपी उग्रवादी संगठन के दस्ते के साथ एक बार भिड़ंत हो चुुकी है. पुलिस के साथ मुठभेड़ मे सबसे ज्यादा नुकसान जेजेएमपी उग्रवादी संगठन को हुआ है जब तीन उग्रवादी मारे गए तथा दो एके 47 हथियार बरामद हुआ है.
इसके अलावा माओवादियों से मुठभेड़ मे किसी प्रकार के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है लेकिन तीन हथियार, तीन केन बम, डेटोनेटर समेत अन्य विस्फोटक बरामद किया गया है. जिला पुलिस तथा सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में आधा दर्जन हथियार इनमें दो एके 47, एक एसएलआर, तीन केन बम, डेटोनेेेटर समेेत विस्फोटक सामान बरामद हो चुका है. लोहरदगा पुलिस नक्सली जोनल कमांंडर रवींद्र गंंझू, टीएसपीसी तथा जेजेएमपी उग्रवादियों को निशाने पर लेकर चल रही है.