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नहीं हैं पर्याप्त शिक्षक, कैसे हो शत-प्रतिशत रिजल्ट
लातेहार : शहर के राजकीयकृत उच्च विद्यालय की छात्राएं शिक्षकों की कमी का दंश झेल रही हैं. विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण उनका भविष्य अंधकार में हो रहा है. विद्यालय में कुल छात्रओं की संख्या 1011 है. जिसमें नौंवीं कक्षा में 441 एवं दसवीं में 570 छात्राएं हैं. जबकि शिक्षकों की संख्या […]
लातेहार : शहर के राजकीयकृत उच्च विद्यालय की छात्राएं शिक्षकों की कमी का दंश झेल रही हैं. विद्यालय में पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण उनका भविष्य अंधकार में हो रहा है. विद्यालय में कुल छात्रओं की संख्या 1011 है. जिसमें नौंवीं कक्षा में 441 एवं दसवीं में 570 छात्राएं हैं. जबकि शिक्षकों की संख्या मात्र छह हैं. ऐसे में सरकार के गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने का दावा खोखला साबित हो रहा है. सरकार ने खराब रिजल्ट करने वाले विद्यालय एवं शिक्षकों को दोषी मान कर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है.
लेकिन अगर विद्यालय में कई प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हो, तो अच्छे रिजल्ट की कल्पना नहीं की जा सकती है. ऐसे में दोषी किसे जाना जाये, शिक्षक को छात्र को या फिर सरकार को. वर्ष 2016 में मात्र 26 प्रतिशत छात्राएं ही मैट्रिक की परीक्षा में उर्तीण हो पायीं.
2008 के बाद से नहीं हुई पदस्थापना : जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 से यहां किसी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गयी है. इससे पहले सभी विषयों के शिक्षक यहां उपलब्ध थे. जबकि विद्यालय में प्रधानाध्यापिका के अलावा दस शिक्षकों का पद सृजित है.
नहीं हैं कई विषयों के शिक्षक : विद्यालय में मात्र छह शिक्षक हैं जो हिंदी, जीव विज्ञान, इतिहास व उर्दू विषय पढ़ाते हैं. विद्यालय में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान व संस्कृत के शिक्षक नहीं हैं. विद्यालय की अधिकांश छात्राएं इन्ही विषयों में फेल होती हैं.
छह में तीन शिक्षक प्रतिनियोजित
ऐसा नहीं है कि सभी छह शिक्षकों की पदस्थापना इसी विद्यालय में है. छह में तीन शिक्षक अन्य विद्यालयों से यहां प्रतिनियोजन पर भेजे गये हैं. विद्यालय में मात्र प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुकृता कुजूर, नीतू अंजना टोप्पो व साजदा खातून ही यहां पदस्थापित है. जबकि प्रतिनियोजन पर मधु बेक, जोसेफ कुजूर व शशि किरण लकड़ा है.
क्या कहती हैं प्रभारी प्रधानाध्यापिका : प्रधानाध्यापिका सुकृत कुजूर ने को बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की नितांत कमी है. सभी विषयों के शिक्षक नहीं रहने के कारण मैट्रिक में विद्यालय का रिजल्ट अपेक्षाकृत अच्छा नहीं है.
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