एक उम्दा होटल हुआ करता था-प्रभात विहार. जीर्णोद्धार का हवाला देते हुए इसे 2010 में ध्वस्त कर दिया गया था. अब तक प्लिंथ का काम भी पूरा नहीं हो सका है. हेडलाइन…ठहरने की व्यवस्था नहीं, पर्यटक मायूस लातेहार. नये वर्ष में राज्य के मशहूर पर्यटन स्थल नेतरहाट में सैलानियों की भीड़ बढ़ रही है. लेकिन आवासीय व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. भारी मुसीबतों के कारण कई सैलानी तो दिन भर रहने के बाद वापस लौट जा रहे हैं. नेतरहाट पर्यटन विभाग का होटल प्रभात विहार के भवन को अत्याधुनिक संसाधन युक्त होटल बनाने के नाम पर वर्ष 2010 में ध्वस्त तो कर दिया गया, लेकिन नया बनाने की कार्य इतना धीमा है कि चार वषार्ें में प्लिंथ लेबल तक भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है. जिला परिषद का मशहूर पलामू बंगला का भी जीणार्ेद्धार के वास्ते सभी कमरों की तोड़ फोड़ कर दी गयी है. इन दो भवनों के अलावा सैलानियों के लिए सिर्फ एक विकल्प वन विभाग का विश्रामागार शेष रह गया है. यहां मुश्किल से छह परिवार ठहर सकते हैं. जबकि सैलानियों की तादाद यहां दिनों दिन बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है कि आवासीय व्यवस्था की कमी के कारण कई सैलानी दिन भर के बाद वापस लौट रहे हैं है.वर्ष 1998 में बना था प्रभात विहार होटल प्रभात विहार भवन का उदघाटन 30 अप्रैल 1998 को तत्कालीन पर्यटन मंत्री (बिहार) जगदानंद एवं राज्यमंत्री सुरेश पासवान द्वारा किया गया था. पुन: वर्ष 2010 मंे झारखंड के पर्यटन मंत्री विमला प्रधान ने इस होटल के भवन को ध्वस्त कर अत्याधुनिक पर्यटन सुविधायुक्त आकर्षक भवन निर्माण का आदेश किया और इसके कामयाब भवन को ध्वस्त कर दिया गया.
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नेतरहाट में सैलानियों की आवाजाही बढ़ी, सुविधाएं सिकुड़ीं
एक उम्दा होटल हुआ करता था-प्रभात विहार. जीर्णोद्धार का हवाला देते हुए इसे 2010 में ध्वस्त कर दिया गया था. अब तक प्लिंथ का काम भी पूरा नहीं हो सका है. हेडलाइन…ठहरने की व्यवस्था नहीं, पर्यटक मायूस लातेहार. नये वर्ष में राज्य के मशहूर पर्यटन स्थल नेतरहाट में सैलानियों की भीड़ बढ़ रही है. लेकिन […]
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