बरही : बरही में पेयजल की समस्या गंभीर है. बरही जलापूर्ति योजना लगभग सात आठ साल से बेकार पड़ी है. नलों में एक बूंद पानी नहीं आ रहा है. बराकर नदी पर स्थित फिल्टर प्लांट की मशीनरी जंग खा रही है. बरही चौक पर स्थित पानी टंकी सूखी पड़ी है. पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टी के नेताओं ने लोगों को आश्वासन दिया था कि प्लांट को ठीक कर जलापूर्ति बहाल कर दी जायेगी, पर किसी ने आश्वासन पूरा नहीं किया.
चुनाव जीतने वाले और हारने वाले सभी नेता चुनाव पूर्व किये अपने वादे को जैसे भूल ही गये. बरही जलापूर्ति योजना वर्षों से ठप पड़ी है. 10 साल पहले एक नयी जलापूर्ति योजना का निर्माण शुरू हुआ था. यह अभी भी अधूरी पड़ी है. इस नयी ग्रामीण जलापूर्ति योजना की जलमीनार इंटेकवेल ही पूरा हो पाया है.
जल शोधक प्लांट समेत शेष 70 प्रतिशत निर्माण कार्य बाकी है. बरही के लोग पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे है. इधर हजारीबाग रोड में बरही चौक से से लेकर बराटांड़ तक एनएच 33 के किनारे विभिन्न जगहों पर लगे 10 चापाकलों को सड़क चौड़ीकरण के क्रम में पांच माह पहले उखाड़
दिया गया. संवेदक ने इनके जगह पर एक सप्ताह के भीतर नया चापानल लगाने का आश्वासन दिया था, मगर अभी तक नये चापानल नहीं लगाये गये है. हजारीबाग रोड के निवासियों का कहना है कि इसके चलते उन्हें पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. काफी दूर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है.
स्थानीय निवासी पप्पू चंद्रवंशी, राजदेव सिंह, राजेंद्र पांडेय, पन्ना लाल गुप्ता, विनोद केसरी, दीपक केसरी, पंकज केसरी, रूपेश चंद्रवंशी, सुनील निषाद, बाल्मीकि साव, शंभु केसरी, सीताराम केसरी, गणेश सोनी, विजय साव, सुबोध साव, गुड्डू केसरी, मनोज स्वर्णकार ने पेयजल की अपनी समस्या बताते हुए रोष व्यक्त किया है. उनका कहना है कि पेयजल की इन समस्याओं को इस चुनाव में मुद्दा बनाया जायेगा.