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दूध उत्पादन कर आत्मनिर्भर बने ग्रामीण

खूंटी : जिला गव्य विकास खूंटी के प्रयास से मुरहू सहित कई प्रखंडों में लोग दूध उत्पादन कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं. मुरहू के माहिल गांव के लोगों की तकदीर डेयरी से पूरी तरह बदल गयी है. प्रतिदिन 800 लीटर दूध का उत्पादन : गायों से अच्छी कमाई को देख किसानों ने इस व्यवसाय को […]

खूंटी : जिला गव्य विकास खूंटी के प्रयास से मुरहू सहित कई प्रखंडों में लोग दूध उत्पादन कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं. मुरहू के माहिल गांव के लोगों की तकदीर डेयरी से पूरी तरह बदल गयी है.
प्रतिदिन 800 लीटर दूध का उत्पादन : गायों से अच्छी कमाई को देख किसानों ने इस व्यवसाय को जीविका का मुख्य साधन बना लिया. गांव में लगभग 94 परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं. यहां प्रतिदिन 800 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. एक परिवार औसत 10 हजार रुपये से अधिक मासिक कमाई कर रहा है. गांव के किसान अपने बच्चों को दूर शहरों में तकनीकी पढ़ाई भी करा रहे हैं.
ऑटोमेटिक मिल्क यूनिट बना : जिला गव्य विकास ने किसानों के प्रयास को देखते हुए 12 लाख की लागत से एक ऑटोमेटिक मिल्क कलेक्शन यूनिट स्थापित किया है. यूनिट में दूध का संग्रह एवं बायफ पशु विकास केंद्र संचालित है. जिससे किसानों को दूध का उचित मूल्य मिलता है.
ऐसे की गयी पहल : आठ वर्ष पूर्व गांव में बेरोजगारी काफी थी. लोग कृषि पर आश्रित थे. 20 फरवरी 2006 को बायफ पशु विकास केंद्र खूंटी ने गांव में दूध उत्पादन के क्षेत्र में पहल शुरू की.
योजना बनायी गयी. विभाग ने देसी गायों की ब्रीडिंग करायी. उन्नत नस्ल की बछिया होने पर एचआरपी के तहत 15 दिन बछिया को मां बन जाने तक पशु आहार निर्धारित अनुदान पर उपलब्ध कराया गया. प्रति गाय 60 रुपये की दर पर पशुओं का बीमा भी कराया गया. गांव में धीरे-धीरे गायों की नस्ल में काफी सुधार आया. दूध उत्पादन में भी सुधार आया. एक गाय प्रतिदिन 12 से 15 लीटर दूध देने लगी.

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